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19 Jan 2022 · 1 min read

बदलाव

स्वयं में उभरती
हीनता को तोड़ मरोड़
कर जीवन का अर्थ समझ आए
शायद!
इस वजह से कि कोई भी
किसी को उसके अनुकूल
समझता ही नहीं!
दूसरी वजह शायद ये है
कि लोग अपना नजरिया वहीं का वहीं रखतें हैं!
अब मेरा अदृश्य हो जाना
ज्यादा बेहतर रहेगा
शायद जगह बदली जाये
तो थोड़ा हम भी बदलाव लाएं

प्रवीण माटी

Language: Hindi
Tag: कविता
139 Views
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