खेत खलिहनवा पसिनवा चुवाइ के सगिरिउ सिन्वर् लाहराइ ला हो भैया
गहरे ज़ख्म मिले हैं जिंदगी में...!!!!
"हिंदी"
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
दुष्यंत और शकुंतला (पौराणिक कथा)
Started day with the voice of nature
बिन काया के हो गये ‘नानक’ आखिरकार
लोभ के क्षोभ से सदा दूर रहे।
I met myself in a weed-flower field,
जब तुम हारने लग जाना,तो ध्यान करना कि,
दिल करता है कि मैं इक गज़ल बन जाऊं और तुम मुझे गुनगुनाओ,