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8 Apr 2023 · 1 min read

बदनाम होने के लिए

ज़िन्दगी की दौड़ में नाकाम होने के लिए
लिख रहा हूं यह ग़ज़ल बदनाम होने के लिए

हर किसी को चाहिए अब ज़िन्दगी आराम की
हर कोई बेसब्र है गुलफ़ाम होने के लिए

बन गए वो कंस , रावण और दुर्योधन सभी
ज़िन्दगी जिनको मिली थी राम होने के लिए.

आम को जब से कहा जाने लगा राजा यहां
हर समर (फल) बेताब है अब आम होने के लिए

एक पागल गा रहा है शाम से गलियों में फिर
मय ज़रूरी है मुकम्मल शाम होने के लिए

–शिवकुमार बिलगरामी

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 1396 Views
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