Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jun 2024 · 1 min read

बदचलन (हिंदी उपन्यास)

ज़िंदगी जब बदरंग और बेमेल होती है तब अपना साया तक साथ छोड़ देता है। कुछ ऐसा ही हुआ जब धनाढ्य जमींदार राजवीर सिंह की बेटियों ने अपने छोटे भाई मनोहर की मंदबुद्धि का फायदा उठाकर उसकी सारी सम्पत्ति हड़प ली।
कैसे फिर मनोहर की पत्नी श्यामा अपने पति और बच्चों का ढाल बनकर आगे आई?
समाज की दोगली निगाहों से कैसे उस दो चार होना पड़ा?
क्या हुआ जब पूरे समाज से अकेले लोहा लेने वाली श्यामा का आंचल उसके ही घर के चिराग़ से धू धू कर जल उठा?
पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें, बोधरस प्रकाशन की पेशकश और श्वेत कुमार सिन्हा की उपन्यास ‘बदचलन’ अमेज़न पर उपलब्ध।

Language: Hindi
94 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

धनवान -: माँ और मिट्टी
धनवान -: माँ और मिट्टी
Surya Barman
अगर दिल में प्रीत तो भगवान मिल जाए।
अगर दिल में प्रीत तो भगवान मिल जाए।
Priya princess panwar
चुप अगर रहें तो व्यवधान नहीं है।
चुप अगर रहें तो व्यवधान नहीं है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दोहे- चार क़दम
दोहे- चार क़दम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कान्हा जन्मोत्सव
कान्हा जन्मोत्सव
श्रीहर्ष आचार्य
मेरा नसीब मुझे जब भी आज़मायेगा,
मेरा नसीब मुझे जब भी आज़मायेगा,
Dr fauzia Naseem shad
कागज कोरा, बेरंग तस्वीर
कागज कोरा, बेरंग तस्वीर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"गुजारिश"
Dr. Kishan tandon kranti
श्रेष्ठ बंधन
श्रेष्ठ बंधन
Dr. Mulla Adam Ali
गिरता है धीरे धीरे इंसान
गिरता है धीरे धीरे इंसान
Sanjay ' शून्य'
गीत ____ मां के लिए
गीत ____ मां के लिए
Neelofar Khan
हज़ारों चाहने वाले निभाए एक मिल जाए
हज़ारों चाहने वाले निभाए एक मिल जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
सपनो के सौदागर रतन जी
सपनो के सौदागर रतन जी
मधुसूदन गौतम
कभी दिखाएँ आँख
कभी दिखाएँ आँख
RAMESH SHARMA
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
Ranjeet kumar patre
तरसाके जइबू तअ पछतअइबू
तरसाके जइबू तअ पछतअइबू
Shekhar Chandra Mitra
■ कथ्य के साथ कविता (इससे अच्छा क्या)
■ कथ्य के साथ कविता (इससे अच्छा क्या)
*प्रणय*
तनहा विचार
तनहा विचार
Yash Tanha Shayar Hu
मुक्तक
मुक्तक
Mahender Singh
*प्रकटो हे भगवान धरा पर, सज्जन सब तुम्हें बुलाते हैं (राधेश्
*प्रकटो हे भगवान धरा पर, सज्जन सब तुम्हें बुलाते हैं (राधेश्
Ravi Prakash
रास्ते  की  ठोकरों  को  मील   का  पत्थर     बनाता    चल
रास्ते की ठोकरों को मील का पत्थर बनाता चल
पूर्वार्थ
तन्हा खड़ी हूँ … …
तन्हा खड़ी हूँ … …
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
ज़िंदगी  ने  अब  मुस्कुराना  छोड़  दिया  है
ज़िंदगी ने अब मुस्कुराना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
धन्यवाद
धन्यवाद
Rambali Mishra
चिंतन करत मन भाग्य का
चिंतन करत मन भाग्य का
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
"सत्य वचन"
Sandeep Kumar
डर - कहानी
डर - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
विरह पीड़ा
विरह पीड़ा
दीपक झा रुद्रा
2498.पूर्णिका
2498.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...