बताओ तुम ही, हम क्या करें

बताओ तुम ही, हम क्या करें।
विश्वास तुम पर या उसपे करें।।
बताओ तुम ही —————–।।
देता है वह हमको, इज्जत बहुत।
करता है हमको मोहब्बत भी बहुत।।
लेकिन हम तो चाहते हैं तुमको।
करते हैं तुमसे हम मोहब्बत बहुत।।
इजहार तुमको या उसको करें।
बताओ तुम ही—————-।।
करता है हमपे, वह यकीन बहुत।
लिखता है हमको, वह रोज खत।।
मगर ख्वाब तेरे, हम देखते हैं।
लिखते हैं तुमको, हम रोज खत।।
इंतजार तुम्हारा या उसका करें।
बताओ तुम ही——————-।।
सच मानो,वह हमसे वफ़ा है।
करता है इज्जत, हमारी बहुत।।
मगर हम मूरत , तुम्हें कहते हैं।
करते हैं इज्जत, तुम्हारी बहुत।।
तारीफ तुम्हारी या उसकी करें।
बताओ तुम ही—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)