Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2024 · 1 min read

बड़े-बड़े सपने देखते हैं लोग

बड़े-बड़े सपने देखते हैं लोग
पर छोटी-छोटी बातों को वे
नज़र अंदाज़ कर देते हैं…
वे यह नहीं जानते कि
बड़ी मंज़िल हासिल करने के इरादे में,
छोटी-छोटी मूल्यों का भी
समाविष्ट होना कितना जरूरी है…
…. अजित कर्ण ✍️

1 Like · 40 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शहनाई की सिसकियां
शहनाई की सिसकियां
Shekhar Chandra Mitra
आशा की किरण
आशा की किरण
Neeraj Agarwal
*अति प्राचीन कोसी मंदिर, रामपुर*
*अति प्राचीन कोसी मंदिर, रामपुर*
Ravi Prakash
शाम ढलते ही
शाम ढलते ही
Davina Amar Thakral
मन कहता है
मन कहता है
Seema gupta,Alwar
कलम के हम सिपाही हैं, कलम बिकने नहीं देंगे,
कलम के हम सिपाही हैं, कलम बिकने नहीं देंगे,
दीपक श्रीवास्तव
" शून्य "
Dr. Kishan tandon kranti
धर्म के नाम पे लोग यहां
धर्म के नाम पे लोग यहां
Mahesh Tiwari 'Ayan'
बेटियां
बेटियां
Mukesh Kumar Sonkar
दायित्व
दायित्व
TAMANNA BILASPURI
❤️एक अबोध बालक ❤️
❤️एक अबोध बालक ❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अवसाद
अवसाद
Dr. Rajeev Jain
मैं रूठूं तो मनाना जानता है
मैं रूठूं तो मनाना जानता है
Monika Arora
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
SUDESH KUMAR
3949.💐 *पूर्णिका* 💐
3949.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Some times....
Some times....
Dr .Shweta sood 'Madhu'
दोहे- चरित्र
दोहे- चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हो रही है भोर अनुपम देखिए।
हो रही है भोर अनुपम देखिए।
surenderpal vaidya
She never apologized for being a hopeless romantic, and endless dreamer.
She never apologized for being a hopeless romantic, and endless dreamer.
Manisha Manjari
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सांसों की इस सेज पर, सपनों की हर रात।
सांसों की इस सेज पर, सपनों की हर रात।
Suryakant Dwivedi
"मुशाफिर हूं "
Pushpraj Anant
58....
58....
sushil yadav
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
सियासत में सारे धर्म-संकट बेचारे
सियासत में सारे धर्म-संकट बेचारे "कटप्पाओं" के लिए होते हैं।
*प्रणय प्रभात*
ना अब मनमानी करता हूं
ना अब मनमानी करता हूं
Keshav kishor Kumar
उसके पास से उठकर किसी कोने में जा बैठा,
उसके पास से उठकर किसी कोने में जा बैठा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उफ़ ये गहराइयों के अंदर भी,
उफ़ ये गहराइयों के अंदर भी,
Dr fauzia Naseem shad
भाग्य प्रबल हो जायेगा
भाग्य प्रबल हो जायेगा
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कितना आसान है न बुद्ध बनना, अपनी दूधमुंही संतान को और सोती ह
कितना आसान है न बुद्ध बनना, अपनी दूधमुंही संतान को और सोती ह
Neelam Sharma
Loading...