बटोही (कुंडलिया)

बटोही (कुंडलिया)
चला बटोही छोड़कर ,अपनी गली-मकान
उसकी केवल रह गई ,यादों में मुस्कान
यादों में मुस्कान ,अजाने पथ पर जाता
जाने कैसे लोग ,नया किस से हो नाता
कहते रवि कविराय ,सदा से है निर्मोही
सब को रोता छोड़ ,विदा हो चला बटोही
*बटोही* = यात्री ,पथिक ,रास्ते पर चलने वाला
*निर्मोही* = जिसको कोई मोह न हो
*रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा*
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451