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4 Oct 2022 · 2 min read

बजट का समायोजन (एक व्यंग)

वित्तीय वर्ष समाप्त होने में कुछ ही दिन शेष रह गए थे कार्यालय में नए साहब की स्थापना हुई।आते ही उन्होंने बचे हुए बजट पर अपनी गिद्ध दृष्टि डाली, पुराने साहब लगभग सभी मदों में आबंटित बजट का जनहित में सुरुचिपूर्ण उपयोग कर चुके थे,समयाभाव से आक्समिक मद और कुछ चाय नाश्ता मद में करोना के कारण कार्यालय बंद होने से पैसा बच गया था।साहब ने तुरंत जिम्मेदार अधिकारी से तलब कर पूछा ये नाश्ता मद में क्यों खर्च नहीं किया गया,विना पौष्टिक नाश्ता के कुपोषण हो सकता है, सरकार कुपोषण के प्रति कितनी संवेदनशील है? मिस्टर आपकी नौकरी नप सकती है, तुरंत बचे हुए बजट से पौष्टिक नाश्ता पिछले दो सालों का करा दीजिए सभी को जल्दी से पुष्टाहार देकर बजट का समायोजन कीजिए, हां और फाइल पर लिखना मत भूलना, पिछले दिनों पुष्टाहार नहीं मिलने से विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की इम्यूनिटी पावर कमजोर हो गई थी इसलिए हाई डोज देकर दो बर्ष से आ रहे कुपोषण को दूर कर सभी को पुष्ट कर दिया गया है।
हां और ये आकस्मिक मद का खर्च क्यों नहीं किया गया,सर ऐंसा कोई आकस्मिक मौका नहीं मिला,अरे भाई तुम क्या मंद बुद्धि हो आकस्मिक कुछ भी हो सकता है, कहीं भी ठिकाने लगा सकते थे। खैर छोड़ो अब खर्च कर दो,सर किस चीज में,अरे अभी लंपी वायरस चल रहा है,सर बह तो पशुओं में फैल रहा है,अरे भाई आदमी क्या पशुओं से कम है,सर डाक्टरों का मानना है कि आदमी को उससे खतरा नहीं है,अरे भाई ये डाक्टर के पास ज्ञान नहीं है,करोना की कोई दवा नहीं थी,जो मर सो मर गया जो बच गए सो बच गए।हम कोई रिश्क नहीं ले सकते, तुम आकस्मिक मद से, सभी को लंपी वायरस का सतर्कता डोज लगवा कर,बजट का समायोजन कीजिए, हमारे पास ज्यादा विकल्प नहीं है।
जी सर एक दो दिन में सारा एक्शन हो जाएगा, फायनल रिपोर्ट आपके घर पहुंच जाएगी।वेरी गुड हमें ऐसे ही स्मार्ट लोगों की जरूरत है।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

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