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1 May 2024 · 1 min read

* बचाना चाहिए *

** गीतिका **
~~
क्यों न दिल को कसमसाना चाहिए।
बालपन को भी बचाना चाहिए।

बोझ है भारी बहुत जब शीश पर।
क्यों भला फिर मुस्कुराना चाहिए।

आंख के आंसू न कोई देखता।
काम पर हर रोज आना चाहिए।

है कठिन जीवन श्रमिक का हर तरह।
नित्य जीने का बहाना चाहिए।

जब सहारा ही नहीं देता नहीं।
साथ अपनों को निभाना चाहिए।

आवरण संवेदनाओं पर पड़ा।
स्वप्न में ही मन लगाना चाहिए।

घाव तन पर देखता कोई नहीं।
कब तलक बोझा उठाना चाहिए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०१/०५/२०२४

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