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2 Nov 2022 · 3 min read

*बगिया जोखीराम में श्री राम सत्संग भवन का निर्माण : श्री राजेंद्र जायसवाल जी का

*बगिया जोखीराम में श्री राम सत्संग भवन का निर्माण : श्री राजेंद्र जायसवाल जी का अनूठा कार्य*
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2 नवंबर 2022 बुधवार। दोपहर 2:00 बजे से 3:00 बजे तक बगिया जोखीराम (निकट तिलक कॉलोनी, जिला अस्पताल, रामपुर) में जब रहा, तो इससे पहले कि दरवाजे से निकल कर बाहर आता, श्री राजेंद्र जायसवाल जी ने मुझे रोका और एक स्थान पर ले जाकर खड़ा कर दिया । कहने लगे -“आप रुकिए ! मैं अभी आता हूॅं।”
उस भवन के मुख्य द्वार पर श्री राजेंद्र जायसवाल जी का नाम अंकित देखकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई । पत्थर पर लिखा हुआ था –
*माता दुर्गा भवानी के चरणों में जीवन के इक्यावन वर्ष*
*संग साथ*
*राजेश्वरी जायसवाल-राजेंद्र जायसवाल*
*द्वारा समर्पित नवनिर्मित कक्ष दिनांक 12 मई 2018*
भवन के ऊपर सर्वप्रथम 🕉️ का पवित्र चिन्ह अंकित था । तत्पश्चात केसरिया रंग में *श्री राम सत्संग भवन* बड़े-बड़े मोटे अक्षरों में लिखा हुआ था।
मुश्किल से एक-दो मिनट में ही जायसवाल साहब लौट आए। उनका घर पास में ही था । हाथ में चाभी थी । सत्संग भवन के दरवाजे का ताला खोला तथा मुझे स्नेह पूर्वक अंदर ले गए। भीतर मंदिर के समान पवित्र वातावरण देखकर मैं मुग्ध हो गया । यह सचमुच सत्संग भवन था ।
भवन की साफ-सफाई तथा उच्च कोटि का निर्माण देखते ही बनता था । मंच की दिशा में दीवार पर राधा-कृष्ण, गणेश जी, शंकर-पार्वती, राम दरबार तथा हनुमान जी के बड़े और आकर्षक चित्र सुसज्जित थे। एक कोने में नई अलमारी रखी थी । उसके आगे दो माइक रखे हुए थे । साउंड-सिस्टम भी दिखाई पड़ रहा था ।
जायसवाल साहब से जब मैंने पूछा कि यह तो बहुत सुंदर कार्य आपके द्वारा हो गया है, तब उन्होंने वास्तव में बहुत ही विनम्रता के साथ कहा कि यह सब आपके पिताजी के ही आशीर्वाद का फल है । उनकी वाणी में जो अपनत्व और स्नेह था, मैं उसका वर्णन नहीं कर सकता।
1970 से 1977 तक मैंने सुंदर लाल इंटर कॉलेज, रामपुर में कक्षा 6 से कक्षा 12 तक की पढ़ाई की थी। जायसवाल साहब उसी दौर से विद्यालय में गणित और भौतिक-विज्ञान के विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते थे । आपका कार्यकाल निर्विवाद रूप से संपन्न हुआ । जैसा आपका सात्विक आचार-विचार लंबे समय तक रहा, उसी के अनुरूप एक सात्विक रचना आपके द्वारा प्रभु ने सृजित कर दी । यह आपके निर्मल विचारों को तो प्रकट करती ही है, अपनी श्रेष्ठ भावनाओं के साथ अच्छे समाज का निर्माण भी इसके माध्यम से हो सकेगा।
जीवन के साथ-साथ धन भी नश्वर और नाशवान कहा जाता है । इसका सर्वोत्तम उपयोग यही है कि इसे किसी सत्कार्य में व्यय कर दिया जाए। जायसवाल साहब ने बताया कि जब उनके विवाह के पचास वर्ष पूरे हुए, तब दोनों पति-पत्नी ने विचार किया कि एक ऐसा आयोजन किया जाए जो सदैव के लिए स्थाई हो सके । विचार को आपने क्रियान्वित किया और आपके विवाह के स्वर्ण जयंती की स्वर्णिम रश्मियॉं “श्री राम सत्संग भवन” के रूप में संपूर्ण समाज को आलोकित करने की दिशा में आगे बढ़ गईं। प्रत्येक बुधवार को आपके द्वारा श्री राम सत्संग भवन, बगिया जोखीराम में सत्संग का आयोजन होता है। बैठने की सुंदर व्यवस्था है। आपके पवित्र कार्य को ढेरों बधाई और शुभकामनाऍं।
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*लेखक : रवि प्रकाश*
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: संस्मरण
60 Views

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