Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2022 · 3 min read

बगिया जोखीराम में श्री चंद्र सतगुरु की आरती

*बगिया जोखीराम में श्री चंद्र सतगुरु की आरती का मनमोहक उत्सव*
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रात्रि 6:15 बजे से 8:15 बजे तक रामपुर की पुरानी ,प्रसिद्ध तथा सिद्ध-स्थली मानी जाने वाली बगिया जोखीराम में श्री चंद्र सतगुरु की आरती का अनूठा आयोजन हुआ। बाहर से संत पधारे और उन्होंने मंडली जमा कर अपने आराध्य देव श्री चंद्र सतगुरु महाराज की आरती का आयोजन बगिया जोखीराम ने किया ।
मंदिर का प्रांगण भक्तों की उपस्थिति से सजीव हो उठा और उसमें प्राण फूँक दिए संतो के समर्पित तथा निष्ठा भाव से आपूरित आरती-भजनों ने।
यह संत उदासीन संप्रदाय के साधु हैं तथा भ्रमण करते रहते हैं । लाउडस्पीकर पर एक साथ महाराज ने बताया भी कि अब हमारा आगमन बारह वर्ष के बाद ही होगा। कुछ साधु गेरुआ वस्त्र धारण किए हुए थे। जबकि कुछ साधु शरीर पर राख मले हुए थे। यह कमर के नीचे काला वस्त्र धारण किए हुए थे । सभी साधु ध्येय के प्रति निष्ठावान प्रतीत हो रहे थे । एक के हाथ में तुरही अथवा तुतीरी कहा जाने वाला वाद्य-यंत्र था। यह यंत्र अब प्रचलन से लगभग बाहर हो चुका है । प्राचीन काल में इसका प्रचलन बहुत था । इसका आकार बड़ा और घुमावदार होता है तथा एक सिरा मुँह पर लगाकर ध्वनि निकाली जाती है और दूसरा सिरा उस ध्वनि को विस्तार देता है । एक साधु तुरही से जोरदार ध्वनि निकाल रहे थे । किसी के हाथ में मंजीरे थे। एक साधु बाजा बजा रहे थे । केवल साधु ही नहीं भक्तगण भी दोनों हाथों से तालियाँ बजा रहे थे । वातावरण रसमय हो उठा था । *हर हर महादेव* के नारे बीच-बीच में गूँजते थे और सब के दोनों हाथ आकाश की ओर उठ जाते थे ।
श्री चंद्र जी महाराज उदासीन संप्रदाय के सर्वाधिक प्रतिष्ठित एवं पूजनीय ज्योतिपुंज हैं । आरती में अनेक बार आपको *सतगुरु* तथा *भगवान* का संबोधन प्रदान करते हुए आदर के साथ प्रणाम किया गया । आरती के समय भगवान राम ,राधा और कृष्ण ,बजरंगबली आदि के प्रति भी पूर्णा सम्मान भाव प्रगट हो रहा था । श्री चंद्र जी महाराज का तेजस्वी चित्र मंदिर के मध्य में सुशोभित किया गया था । मंदिर चाँदी का बना हुआ था और आरती का आरंभ दीप प्रज्वलित करके श्री चंद्र जी महाराज की आरती उतारने के साथ शुरू हुआ ।
तत्पश्चात साधुओं ने आरती के क्रम को आगे बढ़ाया और भजन-कीर्तन आरंभ हो गया । सतगुरु और भगवान के रूप में पूज्य श्री चंद्र जी महाराज आरती के केंद्र में उपस्थित थे ।
कार्यक्रम आरंभ होने से पूर्व कुछ भक्त हमें मंदिर प्रांगण में उपस्थित दीखे तो हमने उनसे बातचीत की । पता चला कि जिन सद्गुरु श्री चंद्र जी महाराज की आज पूजा और आरती में हम लोग उपस्थित हैं ,वह साक्षात भगवान शिव के अवतार कहे जाते हैं । संसार के सर्वश्रेष्ठ सतगुरु हैं । सब प्रकार के प्रलोभनों से मुक्त आपका जीवन एक आदर्श साधनामय व्यक्तित्व रहा है। उदासीन अथवा उदासी संप्रदाय से आपका संबंध सांसारिक लोभों के प्रति आपकी उदासीनता को प्रमाणित करता है ।
भक्तजनों से वार्ता करने पर यह भी पता चला कि आप बाल्यावस्था से ही समाधि लगा कर बैठ जाते थे और उसी समय से सबको लगने लगा था कि यह बालक सांसारिक रुप से साधारण कार्यों में संलग्न न रहकर कोई बड़ा आदर्श संसार के सामने उपस्थित करेगा और ऐसा ही हुआ। आप ने सारे भारत में भ्रमण किया तथा उच्च आदर्शों की शिक्षा समस्त समाज को दी। सुनकर महान सद्गुरु के प्रति ह्रदय और भी श्रद्धा के साथ नतमस्तक हो उठा ।
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

479 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

Books from Ravi Prakash

You may also like:
ये सच है कि उनके सहारे लिए
ये सच है कि उनके सहारे लिए
हरवंश हृदय
तारीख़ के बनने तक
तारीख़ के बनने तक
Dr fauzia Naseem shad
भरमाभुत
भरमाभुत
Vijay kannauje
नया फरमान
नया फरमान
Shekhar Chandra Mitra
It is necessary to explore to learn from experience😍
It is necessary to explore to learn from experience😍
Sakshi Tripathi
जरूरत
जरूरत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मैं तेरे अहसानों से ऊबर भी  जाऊ
मैं तेरे अहसानों से ऊबर भी जाऊ
Swami Ganganiya
THOUGHT
THOUGHT
Jyoti Khari
इश्क़ का कुछ अलग ही फितूर था हम पर,
इश्क़ का कुछ अलग ही फितूर था हम पर,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
प्रेम समर्पण की अनुपम पराकाष्ठा है।
प्रेम समर्पण की अनुपम पराकाष्ठा है।
सुनील कुमार
ज़िंदगी बन गई है सूखा शज़र।
ज़िंदगी बन गई है सूखा शज़र।
Surinder blackpen
हर फूल गुलाब नहीं हो सकता,
हर फूल गुलाब नहीं हो सकता,
Anil Mishra Prahari
देश भक्ति
देश भक्ति
Sidhartha Mishra
होली
होली
Manu Vashistha
"वाह रे जमाना"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ पाने के लिए
कुछ पाने के लिए
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*मनु-शतरूपा ने वर पाया (चौपाइयॉं)*
*मनु-शतरूपा ने वर पाया (चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-215💐
💐प्रेम कौतुक-215💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जिद्द
जिद्द
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
छोड़ दे गम, छोड़ जाने का
छोड़ दे गम, छोड़ जाने का
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मूर्ख बनाने की ओर ।
मूर्ख बनाने की ओर ।
Buddha Prakash
बेवजह कदमों को चलाए है।
बेवजह कदमों को चलाए है।
Taj Mohammad
जब जब ……
जब जब ……
Rekha Drolia
नहीं हूँ मैं किसी भी नाराज़
नहीं हूँ मैं किसी भी नाराज़
ruby kumari
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
विमला महरिया मौज
नमो-नमो
नमो-नमो
Bodhisatva kastooriya
मुरझाना तय है फूलों का, फिर भी खिले रहते हैं।
मुरझाना तय है फूलों का, फिर भी खिले रहते हैं।
Khem Kiran Saini
मां कालरात्रि
मां कालरात्रि
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
■ विकृत परिदृश्य...
■ विकृत परिदृश्य...
*Author प्रणय प्रभात*
जालिम
जालिम
Satish Srijan
Loading...