” बंशी तेरी , अधर धरूंगी ” !!
सपन सलोने ,
पलक द्वार पर !
बैठे ही हैं ,
अंगना बुहार कर !
खुशियों में सब –
पल डूबे हों !
चाहत तेरी ,
नज़र करूंगी !!
सुने अनसुने ,
प्रश्न जब उभरे !
वादे टूटे ,
स्वर भी बिखरे !
हानि लाभ का ,
गणित न जानूँ !
साझे में ही –
बसर करूंगी !!
मनुहारों से ,
मैल धुल गया !
ईज़हारों से ,
हृदय खिल गया !
परछाई बन ,
जीना मुझको !
तनहा ना मैं –
सफर करूंगी !!
बृज व्यास