Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2021 · 1 min read

बंद पंछी

2122 2122 21222
पिंजरे में बंद पंछी सा,तड़पते हम ।
पंख हैं घायल बदन पर चोट सहते हम।
क्या कहूँ किसको बताऊँ कौन है अपना-
है बने कैदी मगर अब मौन रहते हम।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

2 Likes · 378 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
4130.💐 *पूर्णिका* 💐
4130.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
उदास हो गयी धूप ......
उदास हो गयी धूप ......
sushil sarna
*रिश्तों मे गहरी उलझन है*
*रिश्तों मे गहरी उलझन है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हक हैं हमें भी कहने दो
हक हैं हमें भी कहने दो
SHAMA PARVEEN
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
****गणेश पधारे****
****गणेश पधारे****
Kavita Chouhan
तेरी आँखों की जो ख़ुमारी है
तेरी आँखों की जो ख़ुमारी है
Meenakshi Masoom
हमें अब राम के पदचिन्ह पर चलकर दिखाना है
हमें अब राम के पदचिन्ह पर चलकर दिखाना है
Dr Archana Gupta
कठिनाईयां देखते ही डर जाना और इससे उबरने के लिए कोई प्रयत्न
कठिनाईयां देखते ही डर जाना और इससे उबरने के लिए कोई प्रयत्न
Paras Nath Jha
*सुनो माँ*
*सुनो माँ*
sudhir kumar
पन बदला प्रण बदलो
पन बदला प्रण बदलो
Sanjay ' शून्य'
"अभिलाषा"
Dr. Kishan tandon kranti
🌹खूबसूरती महज....
🌹खूबसूरती महज....
Dr .Shweta sood 'Madhu'
खींचो यश की लम्बी रेख।
खींचो यश की लम्बी रेख।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
रम्मी खेलकर लोग रातों रात करोड़ पति बन रहे हैं अगर आपने भी स
रम्मी खेलकर लोग रातों रात करोड़ पति बन रहे हैं अगर आपने भी स
Sonam Puneet Dubey
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
PRADYUMNA AROTHIYA
ढोलकों की थाप पर फगुहा सुनाई दे रहे।
ढोलकों की थाप पर फगुहा सुनाई दे रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
तुम्हें तो फुर्सत मिलती ही नहीं है,
तुम्हें तो फुर्सत मिलती ही नहीं है,
Dr. Man Mohan Krishna
“किरदार भले ही हो तकलीफशुदा  ,
“किरदार भले ही हो तकलीफशुदा ,
Neeraj kumar Soni
ऐ माँ! मेरी मालिक हो तुम।
ऐ माँ! मेरी मालिक हो तुम।
Harminder Kaur
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
परिसर खेल का हो या दिल का,
परिसर खेल का हो या दिल का,
पूर्वार्थ
खामोशियों की वफ़ाओं ने मुझे, गहराई में खुद से उतारा है।
खामोशियों की वफ़ाओं ने मुझे, गहराई में खुद से उतारा है।
Manisha Manjari
तलाशता हूँ उस
तलाशता हूँ उस "प्रणय यात्रा" के निशाँ
Atul "Krishn"
बँटवारे का दर्द
बँटवारे का दर्द
मनोज कर्ण
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
Dr fauzia Naseem shad
श्रेष्ठ बंधन
श्रेष्ठ बंधन
Dr. Mulla Adam Ali
बच्चे पैदा करना बड़ी बात नही है
बच्चे पैदा करना बड़ी बात नही है
Rituraj shivem verma
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कवि की लेखनी
कवि की लेखनी
Shyam Sundar Subramanian
Loading...