फूल प्रेम के अगर यहाँ तो बैर भाव के काँटे भी हैं
फूल प्रेम के अगर यहाँ तो बैर भाव के काँटे भी हैं
कहीं चुभे न हमें ही आकर यही सोच ये छाँटे भी हैं
ताकत है परिवार हमारा रिश्तों बिन सूना है जीवन
सुख में बाधा बने कभी तो दुख अपनों ने बाँटे भी है
डॉ अर्चना गुप्ता