जिंदगी तुम से ही , मुनव्वर है ,
हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है।
जिंदगी के तूफानों में हर पल चिराग लिए फिरता हूॅ॑
आपका स्नेह पाया, शब्द ही कम पड़ गये।।
दिल तो है बस नाम का ,सब-कुछ करे दिमाग।
"हृदय में कुछ ऐसे अप्रकाशित गम भी रखिए वक़्त-बेवक्त जिन्हें आ
मोबाइल की चमक से भरी रातें,
मुझे ज़िंदगी में उन लफ्जों ने मारा जिसमें मैं रत था।
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कारगिल विजय दिवस
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*हल्दी अब तो ले रही, जयमाला से होड़ (कुंडलिया)*
Don't leave anything for later.
पैंसठ में भी तुम कितनी जवान हो