Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Apr 2022 · 2 min read

फूलो की कहानी,मेरी जुबानी

एक दिन मैं अपने बगिया मे
ऐसे ही घूम रही थी।
तरह- तरह के फूलों को देखकर
मन ही मन खुश हो रही थी।

एक बात मन में बार-बार आ रही थी।
क्या फूल सदा खुश ही रहते हैं,
या कभी उदास भी होते है
यह प्रश्न मन को कई बार सता रहा था!

मैने भी सोचा मन में प्रश्न रखने से अच्छा है ,
आज जाकर फूल से पूछ ही लेती हूँ
कि वह कभी उदास होती है या नहीं।

मै चली गई सीधे फूल के पास
मैंने पूछा- ये फूल रानी!
तुम इतनी जो प्यारी लगती हो।
सदा हंसती हुई दिखती हो ।

हमेशा खिली-खिली लगती हो।
हर समय खुशी में झूमती रहती हो।
तुम अपनी निराली छटा बिखेरती रहती हो।
सच्चाई की तुम मूरत दिखती हो।

पर क्या सब कुछ जैसा दिखाती हो,
क्या तुम वैसे ही होती हो,
या फिर कभी तुम उदास भी होती हो?

फूलो ने कहा -ऐसी कोई बात नही है।
मै भी होती हूँ कई बार उदास ,
पर क्या करूँ ,दिखाती नही हूँ।

मैने भी उत्सुकता वश उससे पूछ लिया।
आखिर वह क्या बात है ,
जो तुम्हे भी उदास करती है?

फूल बोली- जब भौंरे मेरे ईद-गिर्द न मंडराते है।
मेरी पत्तियों को वह छूकर न जाते है।
उनसे जब न मिलता है मुझे प्यार ,
यह सब देख मुझे कहाँ अच्छा लगता है।
यह सब मेरे मन को भी दुखता है,
यह सब देख मेरा मन भी उदास हो जाता है।

जब तपती गर्मी मुझे सताती है ।
बारिश की बुँदे मेरा साथ छोड़कर चली जाती है,
और मुझे तपता हुआ अकेला छोड़ देती है।
यह देख मुझे कहाँ अच्छा लगता है।
मेरे मन को यह बात चूभता है।
यह बात भी मुझे उदास करता हैं।

जब पतझड़ का मौसम आता है,
मेरे पत्ते पेड़ से झड़ जाते है।
वो भी मेरा साथ छोड़ देते है।
मेरे पास इतराने के लिए कुछ नही रह जाता है।
यह देख मेरा मन उदास हो जाता है।

कुछ मनचले जब मेरे बगिया में आते है।
मेरी कलियों को तोड़कर मसल जाते है।
यह सब देख मुझे क्रोध भी आता है।
और मन उदास हो जाता है।

यह सब सुनकर मैंने कहा-हे फूल रानी!
फिर हमारी और तुम्हारी जिन्दगी में
अंतर क्या है?

जिस बात पर तुम उदास होती हो,
उसी बात पर तो मैं भी उदास होती हूँ।
चलो यह शायद जीवन का चक्र है।
खुशी और गम सबके जीवन मैं आता-जाता है।

~ अनामिका

Language: Hindi
5 Likes · 5 Comments · 446 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
You may also like:
बुद्ध को अपने याद करो ।
बुद्ध को अपने याद करो ।
Buddha Prakash
मां सरस्वती
मां सरस्वती
AMRESH KUMAR VERMA
प्रेम भाव रक्षित रखो,कोई भी हो तव धर्म।
प्रेम भाव रक्षित रखो,कोई भी हो तव धर्म।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
💐
💐
*Author प्रणय प्रभात*
Finding alternative  is not as difficult as becoming alterna
Finding alternative is not as difficult as becoming alterna
Sakshi Tripathi
मोदी जी का स्वच्छ भारत का जो सपना है
मोदी जी का स्वच्छ भारत का जो सपना है
gurudeenverma198
बस तू चाहिए।
बस तू चाहिए।
Harshvardhan "आवारा"
बदलाव
बदलाव
Dr fauzia Naseem shad
आजादी का जश्न
आजादी का जश्न
DESH RAJ
कभी न खत्म होने वाला यह समय
कभी न खत्म होने वाला यह समय
प्रेमदास वसु सुरेखा
मैं निर्भया हूं
मैं निर्भया हूं
विशाल शुक्ल
Writing Challenge- बुद्धिमत्ता (Intelligence)
Writing Challenge- बुद्धिमत्ता (Intelligence)
Sahityapedia
मन
मन
शेख़ जाफ़र खान
खयाल बन के।
खयाल बन के।
Taj Mohammad
वर्तमान परिदृश्य में महाभारत (सरसी)
वर्तमान परिदृश्य में महाभारत (सरसी)
नाथ सोनांचली
अंदर का चोर
अंदर का चोर
Shyam Sundar Subramanian
"मायने"
Dr. Kishan tandon kranti
चराग बुझते ही.....
चराग बुझते ही.....
Vijay kumar Pandey
समझता है सबसे बड़ा हो गया।
समझता है सबसे बड़ा हो गया।
सत्य कुमार प्रेमी
वही पर्याप्त है
वही पर्याप्त है
Satish Srijan
*पतंग (बाल कविता)*
*पतंग (बाल कविता)*
Ravi Prakash
हर रोज में पढ़ता हूं
हर रोज में पढ़ता हूं
Sushil chauhan
लिट्टी छोला
लिट्टी छोला
आकाश महेशपुरी
महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन
महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन
Ram Krishan Rastogi
अज्ञानी की कलम
अज्ञानी की कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आज कुछ अजनबी सा अपना वजूद लगता हैं,
आज कुछ अजनबी सा अपना वजूद लगता हैं,
Jay Dewangan
श्री नेता चालीसा (एक व्यंग्य बाण)
श्री नेता चालीसा (एक व्यंग्य बाण)
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
केहरि बनकर दहाड़ें
केहरि बनकर दहाड़ें
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
डॉ अरुण कुमार शास्त्री x एक अबोध बालक x अरुण अतृप्त
डॉ अरुण कुमार शास्त्री x एक अबोध बालक x अरुण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सृजन
सृजन
Prakash Chandra
Loading...