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12 Jan 2023 · 1 min read

फूलों में मकरंद (कुंडलिया)

फूलों में मकरंद (कुंडलिया)
______________________________
मृग में कस्तूरी बसी , फूलों में मकरंद
शशि के भीतर झाँकिए ,शीतलता है मंद
शीतलता है मंद ,अग्नि में ताप विराजा
निहित ढोल में ताल ,शौर्य से गाजा-बाजा
कहते रवि कविराय ,लाज नारी की दृग में
दिखे श्वान में सूँघ ,कुलाँचे भरना मृग में
_____________________________
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
_____________________________
मकरंद = फूलों का रस ,फूलों का केसर

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