फीकी फीकी है हरियाली
नहीं गगन में है वो लाली
फीकी फीकी है हरियाली
अन्न हवा पानी ले दूषित
तन मन ने बीमारी पाली
पैसा खूब कमाया लेकिन
जीवन कितना दिखता जाली
आँखे खोलो मानव जागो
वरना रह जाओगे खाली
पेड़ों को देकर तुम जीवन
पाओगे असली खुशहाली
डॉ अर्चना गुप्ता