Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2022 · 1 min read

फिर कभी तुम्हें मैं चाहकर देखूंगा………….

फिर कभी तुम्हें मैं चाहकर देखूंगा , गलियों में तेरी मैं कभी आ कर देखूंगा।

अभी बोझ जिम्मेदारियों का बहुत है मुझपर , फिर कभी तुमसे दिल लगाकर देखूंगा।

एक अरसा हो गया तुम रूठे हो मुझसे , आज फिर मैं तुमको मना कर देखूंगा।

तेरी हर चीज़ मुझे तेरी याद दिलाती है , तोहफ़े तेरे सारे तुझे मैं लौटाकर देखूंगा।

इंतज़ार तो तेरा मुझे बरसों से है , मगर पलके मैं आज फिर बिछाकर देखूंगा।

आंखें भारी हो गई हैं फिर मेरी आज , फिर मैं आंसू आज बहाकर देखूंगा।

आज फिर इस दिल को समझा कर देखूंगा, तेरी यादों को फिर भुला कर देखूंगा।

फिर कभी तुम्हें मैं चाहकर देखूंगा , गलियों में तेरी मैं कभी आ कर देखूंगा।
– नसीब सभ्रवाल “अक्की” ,
गांव -बांध,
तहसील-इसराना,
पानीपत,हरियाणा-132107.

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 338 Views
You may also like:
कवि कृष्णचंद्र रोहणा की रचनाओं में सामाजिक न्याय एवं जाति विमर्श
कवि कृष्णचंद्र रोहणा की रचनाओं में सामाजिक न्याय एवं जाति विमर्श
डॉ. दीपक मेवाती
Samay  ka pahiya bhi bada ajib hai,
Samay ka pahiya bhi bada ajib hai,
Sakshi Tripathi
मैं
मैं
Seema gupta,Alwar
गर लिखने का सलीका चाहिए।
गर लिखने का सलीका चाहिए।
Dr. ADITYA BHARTI
प्रेम का दरबार
प्रेम का दरबार
Dr.Priya Soni Khare
करपात्री जी का श्राप...
करपात्री जी का श्राप...
मनोज कर्ण
काली सी बदरिया छाई रे
काली सी बदरिया छाई रे
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
चंदू और बकरी चाँदनी
चंदू और बकरी चाँदनी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गुज़ारिश
गुज़ारिश
Shekhar Chandra Mitra
रोकोगे जो तुम...
रोकोगे जो तुम...
डॉ.सीमा अग्रवाल
हर कभी ना माने
हर कभी ना माने
Dinesh Gupta
वो खूबसूरत है
वो खूबसूरत है
रोहताश वर्मा मुसाफिर
रिश्ते
रिश्ते
Dr fauzia Naseem shad
नशा
नशा
Dr. Kishan tandon kranti
बुद्ध भगवन्
बुद्ध भगवन्
Buddha Prakash
हमारे भीतर का बच्चा
हमारे भीतर का बच्चा
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
शायरी
शायरी
श्याम सिंह बिष्ट
प्रेम प्रणय मधुमास का पल
प्रेम प्रणय मधुमास का पल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
सुप्रभात गीत
सुप्रभात गीत
Ravi Ghayal
आ अब लौट चलें
आ अब लौट चलें
Dr. Rajiv
कोरे पन्ने
कोरे पन्ने
seema varma
फितरत वो दोस्ती की कहाँ
फितरत वो दोस्ती की कहाँ
Rashmi Sanjay
*किसी बच्चे के जैसे मत खिलौनों से बहल जाता (मुक्तक)*
*किसी बच्चे के जैसे मत खिलौनों से बहल जाता (मुक्तक)*
Ravi Prakash
हम वर्षों तक निःशब्द ,संवेदनरहित और अकर्मण्यता के चादर को ओढ़
हम वर्षों तक निःशब्द ,संवेदनरहित और अकर्मण्यता के चादर को ओढ़
DrLakshman Jha Parimal
ईश्वर का रुप मां
ईश्वर का रुप मां
Keshi Gupta
एक था वृक्ष
एक था वृक्ष
सूर्यकांत द्विवेदी
- ग़ज़ल ( चंद अश'आर )
- ग़ज़ल ( चंद अश'आर )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
💐प्रेम कौतुक-472💐
💐प्रेम कौतुक-472💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बरवै छंद
बरवै छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...