फिर कब ऐसी ठंड (कुंडलिया)*
*फिर कब ऐसी ठंड (कुंडलिया)*
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फिर कब ऐसा कोहरा ,फिर कब ऐसी ठंड
पाओगे कल को नहीं ,यह मौसम उद्दंड
यह मौसम उद्दंड ,मजे कुछ और उठाओ
पहनो स्वेटर गर्म ,शॉल में छुप-छुप जाओ
कहते रवि कविराय ,खर्च कब करते पैसा
मिलता नैनीताल , मुफ्त में कब फिर ऐसा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451