Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2022 · 1 min read

फिर कब ऐसी ठंड (कुंडलिया)*

*फिर कब ऐसी ठंड (कुंडलिया)*
■■■■■■■■■■■■■■■
फिर कब ऐसा कोहरा ,फिर कब ऐसी ठंड
पाओगे कल को नहीं ,यह मौसम उद्दंड
यह मौसम उद्दंड ,मजे कुछ और उठाओ
पहनो स्वेटर गर्म ,शॉल में छुप-छुप जाओ
कहते रवि कविराय ,खर्च कब करते पैसा
मिलता नैनीताल , मुफ्त में कब फिर ऐसा
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

348 Views

Books from Ravi Prakash

You may also like:
अमृत महोत्सव
अमृत महोत्सव
Mukesh Jeevanand
किस गुस्ताखी की जमाना सजा देता है..
किस गुस्ताखी की जमाना सजा देता है..
कवि दीपक बवेजा
इक मुलाक़ात किसी से हो
इक मुलाक़ात किसी से हो
*Author प्रणय प्रभात*
समारंभ
समारंभ
Utkarsh Dubey “Kokil”
" अद्भुत, निराला करवा चौथ "
Dr Meenu Poonia
Tumhari khubsurat akho ne ham par kya asar kiya,
Tumhari khubsurat akho ne ham par kya asar kiya,
Sakshi Tripathi
कुछ दोहे...
कुछ दोहे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
तूफानों में कश्तियों को।
तूफानों में कश्तियों को।
Taj Mohammad
✍️नीली जर्सी वालों ✍️
✍️नीली जर्सी वालों ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
Anju ( Ojhal )
जवाब दे न सके
जवाब दे न सके
Dr fauzia Naseem shad
रचनाकार का परिचय/आचार्य
रचनाकार का परिचय/आचार्य "पं बृजेश कुमार नायक" का परिचय
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी सो गयी, दरार पड़ी दीवारों की ईंटें भी चोरी हो गयीं।
ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी सो...
Manisha Manjari
बस का सफर
बस का सफर
Ankit Halke jha
मोहब्बत कर देती है इंसान को खुदा।
मोहब्बत कर देती है इंसान को खुदा।
Surinder blackpen
"वृद्धाश्रम" कहानी लेखक: राधाकिसन मूंधड़ा, सूरत, गुजरात।
radhakishan Mundhra
मुर्गासन,
मुर्गासन,
Satish Srijan
चेहरे उजले ,और हर इन्सान शरीफ़ दिखता है ।
चेहरे उजले ,और हर इन्सान शरीफ़ दिखता है ।
Ashwini sharma
*निजीकरण तो हटा किंतु, शोषण-उत्पीड़न जारी है (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*निजीकरण तो हटा किंतु, शोषण-उत्पीड़न जारी है (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
प्रबुद्ध प्रणेता अटल जी
प्रबुद्ध प्रणेता अटल जी
Vijay kannauje
हनुमानजी
हनुमानजी
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
राज
राज
Alok Saxena
मर जाऊँ क्या?
मर जाऊँ क्या?
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
“यह मेरा रिटाइअर्मन्ट नहीं, मध्यांतर है”
“यह मेरा रिटाइअर्मन्ट नहीं, मध्यांतर है”
DrLakshman Jha Parimal
थे गुर्जर-प्रतिहार के, सम्राट मिहिर भोज
थे गुर्जर-प्रतिहार के, सम्राट मिहिर भोज
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
क्या है खूबी हमारी बता दो जरा,
क्या है खूबी हमारी बता दो जरा,
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
💐प्रेम कौतुक-468💐
💐प्रेम कौतुक-468💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जिद्द
जिद्द
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
लाठी तंत्र
लाठी तंत्र
Shekhar Chandra Mitra
क्या हार जीत समझूँ
क्या हार जीत समझूँ
सूर्यकांत द्विवेदी
Loading...