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12 Aug 2016 · 1 min read

“फासला”

“अहसास वो अधूरा जताना जरुर था।
हम बस तुम्ही से है बताना जरुर था।
ठोकर पे इक बदल गए जज्बात कैसे सब,
ताउम्र चाहतों को निभाना जरुर था।
तन्हा अकेले मोड़ पे मुँह फेरना तेरा,
परदा कभी नज़र का उठाना जरुर था ।
तय वक़्त ने किया जो दरम्यां तेरे मेरे,
उस गमजदा सफर का फासला मिटाना जरुर था।
नासमझ कितनी हसरतें जो जार जार थी,
उनको भी जिंदगी से मिलाना जरुर था।
…..रजनी……..

2 Comments · 690 Views
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