फटमारा (कुंडलिया)*
फटमारा (कुंडलिया)*
फटमारा – सा ही रहा ,सब का अंतिम दौर
नवयौवन का और था ,वृद्ध आयु का और
वृद्ध आयु का और , सभी को रोग सताते
कुछ घर से लाचार , दुखी धन से हो जाते
कहते रवि कविराय ,एक-सा यह जग सारा
कोई मुट्ठी बंद , खुला कोई फटमारा
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फटमारा = कृषकाय ,दुखी ,उपेक्षित
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451