Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Aug 2019 · 3 min read

प्रेम विवाह

प्यार पूजा है। प्यार इबादत है। प्यार ही संसार है। प्यार ही दुनिया है। प्यार के बिना इस दुनिया में कुछ नहीं है। कुछ ऐसे ही प्रेमी जोड़े लोग कहा करते हैं और सच में लगता है। प्यार है तो सारा जहां है। कुछ यूं ही दो प्रेमी युगल कहां करते थे और दोनों एक दूसरे के प्यार में दीवाने थे। इतने दीवाने थे कि प्यार के अलावा उनकी जिंदगी में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। उन्हें बस लगता था कि प्यार ही पूजा है। प्यार ही सारा संसार। प्यार के बिना एक दूसरे से अलग नहीं रह सकते थे। प्यार करना भी चाहिए! कौन कहता है प्यार नहीं करना चाहिए? करना भी चाहिए लेकिन इतने हद तक इन दोनों प्रेमी युगल ने प्रेम किया की घर, समाज, बिरादरी आदि सारी चीजों को भुला कर के वे लोग इतने प्यार के दीवाने हो गए कि पूछो मत, यार हद हो गई।

माता – पिता, भाई – बहन, हित – परीत सारे लोगों के बातों को दरकिनार करते हुए दो प्रेमी जोड़ों ने अपनी मर्जी से प्रेम विवाह कर लिया। दोनों प्रेमी जोड़ी अपने प्यार में खुश थे। दोनों एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें खाई। माता-पिता ने समझाएं की जात बिरादरी में शादी होगा तो अच्छा रहेगा। पर लड़का और लड़की दोनों में किसी ने अपने गार्जियन की बात नहीं मानी।

गार्जियन ने पूरी कोशिश की समझाने की, कि देखो समाज में हम लोग रहते हैं, समाज में कैसे रहा जाता है? हम लोग जानते हैं। समाज में लोग जीने नहीं देंगे। पर वे लोग काहे को समाज देखने जाए, उन्हें तो बस प्यार ही प्यार दिखता था। गार्जियन ने पूरी कोशिश की समझाने की पर समझ नहीं पाए। उन्होंने छोड़ दिया, बस था क्या? दोनों प्रेमी युगल ने अपना अलग बसेरा बसाया और जीवन खुशी – खुशी बिताने लगा।

समय बीतता गया। कुछ समय बीतने के बाद तो कुछ नया होना ही था जीवन में और खुशियां आना ही था तो इन दोनों प्रेमी युगल की एक छोटी सी खुशी इनके जीवन में आई और वह खुशी थी प्यारी सी लड़की। इन प्रेमी युगल की खुशी में चार चांद लगाने एक प्यारी सी लड़की जन्मी और वह प्यारी सी लड़की धीरे – धीरे करके वह भी बड़ी हो गई। लड़की बड़ी हुई तो पढ़ने लगी और पढ़ते-पढ़ते वह भी इतने शायान हो गई की शादी करने लायक हो गई।

अब इस लड़की के माता-पिता यानी प्रेमी युगल ने अपनी लड़की के शादी करने की इच्छा जताते की उससे पहले इस प्रेमी युगल की लड़की ने प्रेम विवाह कर लिया। अब इस प्रेमी युगल ने परेशान हो गए और अपनी लड़की को समझाने की पूरी कोशिश करने लगे पर वह लड़की समझने वाली नहीं थी क्योंकि उन्हें अपने प्यार के अलावा दूसरा कुछ दिखाई नहीं देता था। अब इस प्रेमी युगल ने उस लड़की को अपने अधिकार में करने के लिए थाने में जाकर के लड़के और लड़के के घरवालों पर अपहरण का केस कर दिया और ये लोग थाने के चक्कर लगाने लगे, कि लड़की हमारे कब्जे में आए और हम उन्हें पूरा कोशिश करें समझाने की।

कुछ दिन के बाद थाने के माध्यम से दोनों प्रेमी युगल घर पहुंचे और इस प्रेमी युगल ने अपनी बेटी को समझाने की पूरी कोशिश की पर बेटी ने समझा नहीं। उ प्रेम विवाह कर ली थी और वह अपने जीवन साथी के साथ जीना मरना चाहती थी। इस कदर वे लड़की अपने गार्जियन को इज्जत, समाज बिरादरी ना देखते हुए अपनी प्रेमी युगल के साथ चली गई। अब इधर इस प्रेमी युगल का पूरे समाज में किरकिरी होने लगा। तब इन्हें समझ में आया कि समाज बिरादरी को छोड़ कर शादी करने से क्या नुकसान होता है। पूरे समाज में अपनों की बेइज्जती होती है।

अपने माता – पिता की इज्जत मिट्टी में मिलाते हुए चली गई। उन्हें थोड़ा सा भी परवाह नहीं हुआ कि जिस माता – पिता ने बचपन से पाल पोस कर बड़ा किया उनका उस पर क्या अधिकार है? यही बातें इस प्रेमी युगल सोच रहे थे कि इसी तरीका से हमारे गार्जियनों पर स्थिति उत्पन्न हुई होगी। जिस वक्त हम लोग प्रेम विवाह किए थे और गार्जियन की बात नहीं माने थे। आज पता चला की प्रेम विवाह करने वाले तो कर लेते हैं पर उन गार्जियन के ऊपर क्या बितता है समाज में?

लेखक – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 478 Views

You may also like these posts

बेटी
बेटी
Akash Yadav
नववर्ष में
नववर्ष में
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
बारिश
बारिश
Rambali Mishra
मैंने देखा है बदलते हुये इंसानो को
मैंने देखा है बदलते हुये इंसानो को
shabina. Naaz
नर हो न निराश
नर हो न निराश
Rajesh Kumar Kaurav
।। कीर्ति ।।
।। कीर्ति ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मनु
मनु
Shashi Mahajan
प्रकाश पर्व
प्रकाश पर्व
Shashi kala vyas
4609.*पूर्णिका*
4609.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*कुछ रखा यद्यपि नहीं संसार में (हिंदी गजल)*
*कुछ रखा यद्यपि नहीं संसार में (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
आनंद वर्धक / पीयूष वर्ष छंद विधान सउदाहरण
आनंद वर्धक / पीयूष वर्ष छंद विधान सउदाहरण
Subhash Singhai
इस ज़िंदगी के रंग कई होते हैं...
इस ज़िंदगी के रंग कई होते हैं...
Ajit Kumar "Karn"
कमल खिल चुका है ,
कमल खिल चुका है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
जब सत्य प्रकाशमय हो
जब सत्य प्रकाशमय हो
Kavita Chouhan
मंत्र : दधाना करपधाभ्याम,
मंत्र : दधाना करपधाभ्याम,
Harminder Kaur
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
लोकतंत्र बस चीख रहा है
लोकतंत्र बस चीख रहा है
अनिल कुमार निश्छल
कविता
कविता
Sumangal Singh Sikarwar
जब से देखा रास्ते बेईमानी से निकलते हैं
जब से देखा रास्ते बेईमानी से निकलते हैं
Shreedhar
तुम्हारा जिक्र
तुम्हारा जिक्र
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमा
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमा
Rituraj shivem verma
शाम
शाम
Ruchika Rai
कुदरत है बड़ी कारसाज
कुदरत है बड़ी कारसाज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मौसम का मिजाज़ अलबेला
मौसम का मिजाज़ अलबेला
Buddha Prakash
नव प्रस्तारित छंद -- हरेम्ब
नव प्रस्तारित छंद -- हरेम्ब
Sushila joshi
..
..
*प्रणय*
जिन्दगी के किसी कोरे पन्ने पर
जिन्दगी के किसी कोरे पन्ने पर
पूर्वार्थ
बुंदेली दोहा-अनमने
बुंदेली दोहा-अनमने
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
HOW MANY TIME , ONE GETS UP AND WALK AGAIN.
HOW MANY TIME , ONE GETS UP AND WALK AGAIN.
Atul "Krishn"
" जीवन है गतिमान "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Loading...