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29 Oct 2023 · 1 min read

प्रेम-प्रेम रटते सभी,

प्रेम-प्रेम रटते सभी,
प्रेम न समझे कोय ।
पीर सहे बिन जगत में,
प्रेम न पूरा होय ।।

✍️ अरविन्द त्रिवेदी

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