Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2024 · 1 min read

प्रेम पाना,नियति है..

प्रेम पाना,नियति है..
प्रेम खोना,भी नियति है..

प्रेम खोकर प्रेम से जुड़े रहना,खुले पिंजरे में बैठे पंछी की रुकी सी मुक्ति है…!!

162 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"ये गणित है भ्राते"
Dr. Kishan tandon kranti
करके ये वादे मुकर जायेंगे
करके ये वादे मुकर जायेंगे
Gouri tiwari
दशमेश के ग्यारह वचन
दशमेश के ग्यारह वचन
Satish Srijan
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तुम्हारी खुशी में मेरी दुनिया बसती है
तुम्हारी खुशी में मेरी दुनिया बसती है
Awneesh kumar
2744. *पूर्णिका*
2744. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
Rituraj shivem verma
बदनाम
बदनाम
Deepesh Dwivedi
तीखे दोहे
तीखे दोहे
Rajesh Kumar Kaurav
रफ़्ता रफ़्ता (एक नई ग़ज़ल)
रफ़्ता रफ़्ता (एक नई ग़ज़ल)
Vinit kumar
जल संरक्षरण है अपना कर्तव्य
जल संरक्षरण है अपना कर्तव्य
Buddha Prakash
मजदूर
मजदूर
Vivek saswat Shukla
रस्म ए उल्फ़त में वफ़ाओं का सिला
रस्म ए उल्फ़त में वफ़ाओं का सिला
Monika Arora
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
Dr Tabassum Jahan
भाईचारा
भाईचारा
Mukta Rashmi
क्या है
क्या है
Dr fauzia Naseem shad
चूहे
चूहे
Vindhya Prakash Mishra
जमाने में
जमाने में
manjula chauhan
ममता का सागर
ममता का सागर
भरत कुमार सोलंकी
सब की नकल की जा सकती है,
सब की नकल की जा सकती है,
Shubham Pandey (S P)
उसे आज़ का अर्जुन होना चाहिए
उसे आज़ का अर्जुन होना चाहिए
Sonam Puneet Dubey
दोहा
दोहा
*प्रणय*
संसार की इस भूलभुलैया में, जीवन एक यात्रा है,
संसार की इस भूलभुलैया में, जीवन एक यात्रा है,
पूर्वार्थ
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
कवि दीपक बवेजा
रिश्ते वहीं बनते है जहाँ विचार मिलते है
रिश्ते वहीं बनते है जहाँ विचार मिलते है
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
* वक्त  ही वक्त  तन में रक्त था *
* वक्त ही वक्त तन में रक्त था *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
- बेहतर की तलाश -
- बेहतर की तलाश -
bharat gehlot
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सुना था कि मर जाती दुनिया महोबत मे पर मैं तो जिंदा था।
सुना था कि मर जाती दुनिया महोबत मे पर मैं तो जिंदा था।
Nitesh Chauhan
है खबर यहीं के तेरा इंतजार है
है खबर यहीं के तेरा इंतजार है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...