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5 Apr 2020 · 1 min read

प्रेम गीत

*********प्रेम गीत**********
*************************

हम तेरे बिन कहीं रह नहीं सकते
तुम बिन अब हम जी नहीं सकते

जब से मिले हो ,हो गए हो अपने
दिन-रात लें अब तुम्हारे ही सुपने
बढ़े हैं कदम पीछे हट नहीं सकते
तुम बिन अब हम जी नहीं सकते

तुम बन गए मेरे जीवन की रेखा
हो खूबसूरत ,तुम जैसा नहुं देखा
पागल दिल समझा नहीं सकते
तुम बिन अब हम जी नहीं सकते

सांसों में अपनी मुझको बसा लो
फैला कर बांहें मुझ को बुला लो
प्रेम – भावनाएं दबा नहीं सकते
तुम बिन अब हम जी नहीं सकते

सागर में है जितनी भी गहराई
मोहब्बत जहां की तुझमे समाई
कितना हैं चाहें ,बता नहीं सकते
तुम बिन अब हम जी नहीं सकते

हम तेरे बिन कहीं रह नहीं सकते
तुम बिन अब हम जी नहीं सकते
************************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 200 Views

Books from सुखविंद्र सिंह मनसीरत

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