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24 Jul 2023 · 1 min read

!! प्रार्थना !!

विधाता क्या तेरे मन में
न जाने क्या है जीवन में
रहूंगा क़ैद ख़ुद में ही
या उड़ जाऊंगा उपवन में
मिलेगा कोई उजड़ा वन
या छू लूंगा गगन को मैं

विधाता………..……….

कोई चुरा न ले जाए
मेरे ख्वाबों को मुझसे ही
कहीं मैं डूब न जाऊं
कोलाहल है जो मुझमें ही
बचायेगा तू आकर के
या रह जाऊंगा तड़पन में

विधाता………………….

कोई उड़ा न ले जाए हमें
तूफ़ान बनकर के
बंवडर में न फंस जाऊं
भला, इंसान बनकर के
दिखायेगा करिश्मा तू
या रह जाऊंगा उलझन में

विधाता…………………

मेरे आँखों में तुम ही तुम
मेरे स्वांसों में तुम ही तुम
मेरी बस आरज़ू इतनी कि
मेरे साथ रहना तुम
जो दिख जाए मेरे उर को
ये तन मन हो समर्पण में

विधाता ……………………

•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)

4 Likes · 4 Comments · 960 Views
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