Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2020 · 8 min read

प्रसंग वश-समय चक्र-स्वाधीनता से अब तक! [प्रथम भाग!]

वर्ष तिहत्तर हो रहे,हुए हमें आजाद!
अमर शहीदों का हमें मिला पुण्य प्रसाद!
नौनिहाल सब सुखी रहें,रहे देश खुशहाल !
इन्हीं आकांक्षाओं में हो गए देश पर निहाल !
मर कर भी वह हमें दे गए,एक प्रेरक मिसाल!
देश जिन्हें वह सौंप गए, थे वह भी बे मिसाल!
स्वाधीन भारत वर्ष ने,थामी थीं.गणतंत्र की मशाल!
दासता अँगरेजों की, और राजाओं के मतभेद!
हिन्दू-मुस्लिम की वैमनस्यता,जात-पांत का भेद!!
विभाजन पर कत्ले आम,और भुखमरी की टीस!
यह सब सहते हुए आगे को बढते गए सबको लेकर साथ!
स्थापित किए कल कारखाने,काम हो सबके हाथ!
अन्न धन पर ध्यान दिया, उत्पादन बढाया !
गुट निष्पक्षता उद्देश्य बना कर इसका प्रसार कराया!

चीन को यह मंजूर न था, उसने प्रपंच रचाया !
भाई बन कर हम पर ही, उसने धोखे से युद्ध कराया!
घाव बड़ा था यह हम पर,प्यार में धोखा खाया!
रुके नही तब भी हमने, संगठित होकर कदम बढ़ाया !
आत्म निर्भरता की ओर हो रहे थे हम अग्रसर!
पर मिलते रहे,आघात पर आघात के अवसर!
राष्ट्र पिता को हमने खोया,अपनों के ही हाथ!
सरदार पटेल भी सह न पाए इतना बड़ा आघात!
अभी संभले भी न थे,कि चाचा नेहरू स्वर्ग सिधारे !
यह तीनों ही अनमोल रत्न थे हमारे!
अब देश की बागडोर लाल बहादुर शास्त्री जी ने थी संभाली !
इधर पाकिस्तान ने हम पर थी कुटिल दृष्टि डाली!
या या खाँ ने कर दिया युद्ध का एलान !
लाल बहादुर जी भी डट गए ,कह कर जय जवान-जय किसान!
सैनिकों ने भी कस लिए थे,अपने तीर कमान!
ढाका तक पहुँच गए अपने बीर जवान !
अब या या खाँ को नानी याद दिलाई!
भागते हुए वह दे रहा था अब दिखाई!
चीन-अमेरिका से उसने थी गुहार लगाई!
भारत से बचा लो अब तो मेरे भाई!
बस यही पर चूक हो गई ,रह करके शराफत में!
चले गए समझौता करने तासकंद में !
समझौता क्या हुआ? वहाँ तो दुर्घटना जा घटी !
सुनकर दुःखद समाचार से हम सबकी छाती फटी!
देश में था मातम मचा हुआ, ! और,सच्चा राष्ट्र भक्त चला गया। ।

भाग दो-इंदिरा का दौर!……………………………………………..

नए दौर की हुई शुरुआत !
सत्ता की बागडोर थी इंदिरा के हाथ!
बुजुर्गों को यह स्वीकार नहीं हुआ!
बढने लगे मतभेद, कांग्रेस में फूट पड़ गई!
इंदिरा ने बना दी पार्टी नई,और जनता के द्वार गई !
अपना दर्द बंया किया, और नया जनादेश लिया!
अब वह बिना झिजक के साथ आगे बढ़ने लगी! पाकिस्तान को यह आभास हुआ तभी !
भारत में है कमजोर नेतृत्व,अपने घावों को सहलाने लगा!
हर,रोज शरहद पर खुरापात मचाने लगा!
इंदिरा ने अब ठान लिया ,पाकिस्तान को सबक सिखाना है!
मुजीबर रहमान को तैयार कर,मुक्ति सेना का गठन कराना है!
मुक्ति सेना को प्रशिक्षित कर भेजा,किया युद्ध का ऐलान !
युद्ध चला कई दिनों तक ,और टूटा पाकिस्तान,! नये एक राष्ट्र को जन्म दिया, बंगला देश नाम दिया!
बंग बंधु मुजीब को वहां का शासक बन वाया !
नब्बे हज़ार सैनिकों का समर्पण करा कर एक इतिहास रचाया!
भारत वर्ष में उल्लास था छाया! विपक्ष भी बहुत हर्षाया !
विपक्ष में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इंदिरा को दुर्गा बताया!
पुरा देश तब एक जबान से एक सूत्र में एक जूट हुआ था!!
ऐसा अवसर कम ही मिलता है जब पुरा देश एक सूत्र में बंधता है।
इंदिरा गांधी जी का अब एकाधिकार बढने लगा था!
आम जन से उनका शासन विमुख,होने लगा था !
विपक्ष भी एकजुट नही हो सका,था!
जय प्रकाश नारायण ने विरोध का विगुल बजाया !
इंदिरा गांधी का शासन घबराया !
आपातकाल तब उसने लगाया !
यह दौर बड़ा विकट था, नेताओं का जेलों में जमघट था !
अब प्रतिपक्ष के जीवन मरण का सवाल था!
चुनावों का जो हुआ ऐलान था !
विपक्ष ने एक जूट होकर एक गठबंधन का गठन किया!
सत्ता परिवर्तन हुआ, मोरारजी भाई को नेता चुन लिया !
कई दलों को मिलाकर जनता पार्टी का शासन चला!
लेकिन वक्त-वक्त पर टकराहट का सिलसिला भी चला!
दो वर्ष बीतते- बीतते हो गई खटपट भारी !
सारे प्रयासों पर इस तरह फिर गया पानी !
कर गए बड़े -बड़े धुरन्दर छोटी छोटी नादानी !
बिखर गए कई घटक दल,दल के दल-दल में !
लौट आई इंदिरा गांधी फिर से सत्ता बल में!
इंदिरा के शासन में अब वह चमत्कार न बाकी रहा!
विभिन्न राज्यों में अलगाव शुरू हुआ!
पंजाब में तो हालात बिगड़ गए ज्यादा!
भिन्ढर वाले का आतंक बढ गया था ज्यादा!
अब तो इंदिरा गांधी ने आपरेशन ब्लू स्टार चलाया!
भिंडर वाले के आतंक से पंजाब को मुक्त कराया!
भिंडर वाले के चाहने वाले,सुरक्षा बलों में थे समाये!
उन्हीं के विश्वास घात से इंदिरा गांधी ने प्राण गंवाए !
इंदिरा गांधी के हत्यारों के विरुद्ध रोष हुआ बड़ा भारी!
देश भर में उपद्रव बढे,सिखों का नरसंहार हुआ भारी !
स्थिति को नाजुक समझ ,राजीव को प्रधानमंत्री बनवाया !
उन्हीं के नेतृत्व में फिर आम चुनाव करवाया !
सहानुभूति की लहर में मिला बहुमत बहुत भारी!
बड़े बड़े दलों के नेताओं ने अपनी जमानते गवाई!
नेता प्रतिपक्ष के लिए भी किसी ने संख्या बल नहीं पाया!
राजीव के नेतृत्व में नया दौर तब आया !
तकनीकी ज्ञान का खुब हुआ विकास !
कम्प्यूटर के कार्य को आगे बहुत बढाया !
इक्कीस वीं शताब्दी का उदघोष बढ चढ कर कराया !
किन्तु कुछ साथियों के मन में था तब मैल विषैला !
भ्रष्टाचार के दानव को लेकर मस्तक हुआ कसैला !
बोफोर्स घोटाले ने तो तब सत्ता की चूले हिलाई थी!
आम चुनावों में जनता ने तब उन्हें विपक्ष की राह दिखाई थी!

भाग तीन-अस्थिरता का दौर!…………………………….

अब दौर शुरू हुआ गठबंधन की सरकारों का !
वामपंथ-दक्षिण पंथ के सहयोग से वी पी सिंह को राज मिला !
पर फिर वही कहानी दोहराई गई!
वी पी सिंह की भी सरकार असहमति से गिराई गई !
कुछ साथियों के साथ,चंद्रशेखर अलग हुए!
और राजीव के साथ मिलकर सरकार बनाने को आगे हुए !
राजीव ने मौका पाकर समर्थन दे दिया!
और असहमत होने पर ,सरकार का पतन किया !

अब फिर चुनावों का समर सामने खड़ा था!
एक ओर कांग्रेस तो दूसरी ओर विपक्ष बिखरा था !
अपने-अपने दाँव सब चल रहे थे!
तभी मध्य चुनाव में घटना घटित हो गई!
राजीव गांधी की लिट्टे वालों ने हत्या कर दी!
कांग्रेस को यह बड़ा आघात था!
जनता को भी ऐसा होने का नहीं आभास था !
जनता ने फिर सहानुभूति दर्शाई!
कांग्रेस ही के हाथ फिर सत्ता सौंप आई !
नरसिंम्हा राव को बागडोर थमाई !
इन्होंने अपने कार्य काल में कई नए काम किए थे!
आर्थिक उदारीकरण की वह राह चले थे !
पर भ्रष्टाचार का साया इनके साथ भी चला !
फिर चुनावों का नया दौर निकला !
कांग्रेस के हाथ से सत्ता फिसल गई!
और गठबंधन की राह पर निकल गई!
पर गठबंधन तो गठबंधन ही ठहरा !
अपनी गलती को दोहराता फिरा !
मध्यावधि चुनाव की नौबत आ गई थी !
चुनावों में फिर आम आदमी के सामने विकट घड़ी थी!
पर उसने कुछ ऐसा ठाना,सबको पीछे छोड़ कर आगे की सोची!
अब उसकी नजर में अटल-अडवानी की जोड़ी थी!
जीत मिली उन्हीं को जिस पर जनता की मेहरबानी थी!
अटल को सत्ता पर बैठाया,अडवानी को नायब बनाया !
काम किए अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अनेक !
इनमें सबसे महत्वपूर्ण था यह एक!
परमाणु बम परीक्षण करवाया!
भारत का नाम और गौरव बढवाया !
किन्तु कुछ साथियों ने साथ भी छोड़ा!
बहुमत के अभाव में अटल जी ने सत्ता को छोडा !
पुनः मध्यावधि चुनाव हो गए !
और अटल जी अधिक मजबूती से आगे बढ़ गए!
अब सत्ता पर न कोई संकट आया!
पांच साल तक काम किया,स्वर्णिम चतुर भुज मार्ग बनवाया ! पुरी निष्ठा से काम किया था ,तो नारा भी चमकता भारत आया !
लेकिन जनता में बदलाव की चाहत आई!
अब फिर कांग्रेस ने गठबंधन की सरकार बनाई !

भाग चार! बदलते भारत का दौर……………………

पहले कार्यकाल में वामपंथीयों का साथ मिला स्थाई!
कई बदलाव करके शासन की बागडोर आगे बढाई !
पर परमाणु सौदे के प्रयासों में वामपंथीयों से अनबन हुई!
समझौता क्या हुआ,कांग्रेस की प्रशंसा हुई !
पुनः चुनावों का अवसर था आया!
जनता ने फिर कांग्रेस के साथियों पर विश्वास जताया!
किन्तु यह कार्य काल भ्रष्टाचार का कार्यकाल कहलाया !
निर्भया का घटनाक्रम,अन्ना का आंदोलन !
सब किए कराये पर पानी फेर गया!
लोकपाल का अधिनियम तो बनाया!
पर कांग्रेस को अपने में ही समेट गया !
इतनी बुरी गति पहले न कभी हुई थी!
जो दो हज़ार चौदह में घटित हुई थी!
चौदह का चुनाव तो मोदी के नाम रहा!
नए नारों से भरे जोश में भाजपा पर विश्वास जगा !
अच्छे दिनों का ख्वाब सँजोए जनता का भी मन बना !
पूर्ण बहुमत से सत्ता सौंपी,ना कोई क्लेष रखा !
पांच वर्ष तक मोदी जी ने भी खूब काम किए!
पर हर साल में एक-एक झटके भी दिए!
नोट बंदी-से लेकर जी एस टी,को हमपर उन्होंने लादा है!
मेरा कहना इतना ही है, यह तो नही अच्छे दिनों का वादा है!
हाँ कुछ ऐसा भी किया उन्होंने जिसको जनता चाहती थी!
पाकिस्तान की नकेल कसी, जो नई उमंग दिखाती थी!
और यही वह अस्त्र शस्त्र है,जिससे जनता का प्यार मिला!
दो हज़ार उन्नीस में तो पिछली बार से ज्यादा बहुमत मिला !
अब भी विपक्ष की राह आसान नहीं है!
यह मुझको दिखता है!
विपक्ष अभी संकट में ही ठिठका है!
पर एक संकट जनता के समुख भी आया है!
चीन का छल कोरोना बन कर छाया है!
इस महामारी से विश्व हलकान है!
कोरोना मौत बन कर करता परेशान है!
इससे बचने के उपाय में हमको यह बताया है!
दूर रहो हर किसी से चाहे ,वह अपना हो या पराया है!
जो भी इसको नहीं माने वह खूब पछताया है!
सैकड़ों की संख्या में हमने , ऐसे लोगों को आज गंवाया !
ऐसे वक्त में आज अपने देश में,सब एकजुट होआए हैं!
हर दल के लोगों ने मिलकर कदम उठाए हैं!
प्रधानमंत्री जी ने भी ,लौकडाउन लगाया है!
अब सब मुख्यमंत्रियों ने भी यही आगे के लिए सुझाया है!
यह महामारी ही नहीं है एक अघोषित जंग है!
बीमारी से तो लड़ना है , पर अर्थ व्यवस्था भी तंग है!
बेरोजगारी भी बढ़ रही है,कल कारखाने बंद पड़े हैं!
खेतों पर फसल खडी है,मंडीयां में भी ताले जडे हैं!
क्या संभाले,कैसे संभाले,कैसी यह मुसीबत की घड़ी है!
ऐसे में एक जूट होकर चलना ही बुद्धि मानी बडी है!
और यह दिख भी रहा है, कुछ लोगों को छोड़कर !
पचास वर्षों के बाद हुआ है यह,जब हम साथ दिखे हों ,अपने निज स्वार्थ को त्यागकर!
संकट की घड़ी में हम एकजुट हो जाते हैं!
जब जब आएं हैं संकट ,तब हम यह दिख लाते हैं!
विभाजन का संकट क्या कम बड़ा था!हम एकजुट रहे!
चीन का असमय का युद्ध क्या कम था !हम एकजुट हुए!
पाकिस्तान के साथ पैंसठ का युद्ध में भी हम एकजुट रहे! और जीते भी बडे सम्मान से,पर गम भी बड़ा भारी पाया था!
लाल बहादुर शास्त्री जी जैसा लाल गंवाया था! इक्कत्तर का युद्ध भी बहुत बड़ा था,जिसने इतिहास रचाया था !
कारगिल पर भी हमने धोखा खाकर ,अपने को विजयी बनाया था
कि अब यह जो महामारी!है, इससे लड भी नहीं सकते!
बस उससे बचकर निकलना ही इसका बचाव है ,यही हैं करते !
और संकट की इस घड़ी में,संयम,धैर्य,समर्पण का काम हैं करते!
दीन दुखियों का भी ख्याल हमें ही है रखना है ,आऔ यह करते हैं !
इससे पार पा लें,एक बार,फिर देश को विकास के पथ पर आगे ले चलते हैं!
बस यह अनुरोध है कि, इस बिषाणु से हर हाल में है बचना !
दुख-सुख आते -जाते हैं रहते, हमें धैर्य से ही है रहना !!

Language: Hindi
Tag: लघु कथा
2 Likes · 2 Comments · 279 Views

Books from Jaikrishan Uniyal

You may also like:
सच्चे दोस्त की ज़रूरत
सच्चे दोस्त की ज़रूरत
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
भूख दौलत की जिसे,  रब उससे
भूख दौलत की जिसे, रब उससे
Anis Shah
इतनें रंगो के लोग हो गये के
इतनें रंगो के लोग हो गये के
Sonu sugandh
बच्चों की दिपावली
बच्चों की दिपावली
Buddha Prakash
पिया मिलन की आस
पिया मिलन की आस
Dr. Girish Chandra Agarwal
■ सीधी बात, नो बकवास...
■ सीधी बात, नो बकवास...
*Author प्रणय प्रभात*
ज़िंदगी तुझसे
ज़िंदगी तुझसे
Dr fauzia Naseem shad
रक्तरंजन से रणभूमि नहीं, मनभूमि यहां थर्राती है, विषाक्त शब्दों के तीरों से, जब आत्मा छलनी की जाती है।
रक्तरंजन से रणभूमि नहीं, मनभूमि यहां थर्राती है, विषाक्त शब्दों...
Manisha Manjari
आदत में ही खामी है,
आदत में ही खामी है,
Dr. Kishan tandon kranti
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी का
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी का
Rambali Mishra
*नजारा फिर न आएगा (मुक्तक)*
*नजारा फिर न आएगा (मुक्तक)*
Ravi Prakash
# शुभ - संध्या .......
# शुभ - संध्या .......
Chinta netam " मन "
वक्त
वक्त
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
🙏माँ कूष्मांडा🙏
🙏माँ कूष्मांडा🙏
पंकज कुमार कर्ण
भारतीय संस्कृति और उसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता
भारतीय संस्कृति और उसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
जी उठती हूं...तड़प उठती हूं...
जी उठती हूं...तड़प उठती हूं...
Seema 'Tu hai na'
अब तक मैं
अब तक मैं
gurudeenverma198
रंगोत्सव की हार्दिक बधाई-
रंगोत्सव की हार्दिक बधाई-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
रावण पुतला दहन और वह शिशु
रावण पुतला दहन और वह शिशु
राकेश कुमार राठौर
माँ
माँ
विशाल शुक्ल
नींद में गहरी सोए हैं
नींद में गहरी सोए हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
प्रेम करना इबादत है
प्रेम करना इबादत है
Dr. Sunita Singh
अब हो ना हो
अब हो ना हो
Sidhant Sharma
संगीत
संगीत
Surjeet Kumar
💐कुछ तराने नए सुनाना कभी💐
💐कुछ तराने नए सुनाना कभी💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मां
मां
Sushil chauhan
आज का भारत
आज का भारत
Shekhar Chandra Mitra
शायरी संग्रह नई पुरानी शायरियां विनीत सिंह शायर
शायरी संग्रह नई पुरानी शायरियां विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
Loading...