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3 Nov 2022 · 1 min read

प्रवाह में रहो

भावना में मत बहो
मौन त्यागो
अपना भी ‘मत’ कहो
मत कटने दो व्यक्तिव का अंगूठा
किसी भी कीमत पर
खोलकर रखो एक झरोखा
आशाओं का
मन की देहरी पर
पुनर्जन्म दो अपने उत्साह को
सहेजो अपनी जिंदादिली
न रोको स्फूर्ति के प्रवाह को
नया रूप दो टूटती परिकल्पनाओं को
नव-प्रेरणा से भर दो..
नये युग की संवेदनाओं को!

रश्मि लहर
लखनऊ उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
2 Comments · 106 Views
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