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16 Jul 2022 · 1 min read

प्रभु आशीष को मान दे

माना बहुत से घात हैं हमने सहे
और जाने कितने बिछड़े राह में,
किन्तु जो बीता उसी की स्मृति में
संग में जो हैं उन्हें भी क्यों भुलाएं ?
खो गये यदि मनके कुछ मझधार में
हाथ में जो शेष उनको क्यों लुटाएं ?
प्रभु ने हमको जन्म के ही संग में
दी अमूल्य निधियाँ हमारे हाथ में
दायित्व है अपना इन्हें हम सन्मान दे
आशीष गह निधियों को नव सोपान दे ।

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 178 Views

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