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25 Jan 2017 · 1 min read

प्रदूषण

सरहदें लाँघ गया घुसपैठिया
हर साँस,हर सोच,हर धड़कन को नजरबंद किया
प्रकृति की पीठ पे छुरा भोंप अपनी साख जमा दी
इंसानों ने भी तो अपनी हद भुला दी
कर रहा प्रकृति के नियमों का उलंघन
इस कारण बन गया, ‘काल ‘ प्रदूषण।
** ” पारुल शर्मा ” **

Language: Hindi
508 Views
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