*प्रतिभा-पलायन की समस्या पर अध्ययन दल (हास्य व्यंग्य)*

*प्रतिभा-पलायन की समस्या पर अध्ययन दल (हास्य व्यंग्य)*
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अधिकारी अपने कार्यालय में आराम से कुर्सी पर अधलेटा था । सामने मेज पर फाइलें गट्ठर बनाकर रखी हुई थीं। अधिकारी की आंखें बंद थीं। पता नहीं किस गहन चिंतन में लीन था ।
अकस्मात फोन की घंटी बजी । अधिकारी ने उधर से आने वाला स्वर सुना। बॉस का टेलीफोन था ।
“सुनो दिगंबर ! तुमको प्रतिभा पलायन के कारणों का पता लगाने के लिए बनाए गए अध्ययन दल का सदस्य हमने बनवा दिया है।”
सेकंड भर में अधिकारी इस लॉटरी का महत्व समझ गया । उसने दिल से तो हजारों दुआएं अपने बॉस को दीं, शब्दों में केवल इतना ही कह पाया “आपका यह एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगा ।”
फोन पर बात समाप्त होते ही अधिकारी भविष्य की कार्य-योजना बनाने में तल्लीन हो गया । उसका दिमाग तेजी से दौड़ रहा था । अध्ययन दल में शामिल होने के मायने हैं ,प्रतिभा पलायन की समस्या पर अध्ययन करके उनके कारणों का पता लगाना पड़ेगा। सबसे पहले तो अधिकारी ने प्रतिभा पलायन पर यह सोचना शुरू किया कि प्रतिभा भारत से पलायन होकर सबसे ज्यादा अमेरिका में जा रही है। उसके बाद ब्रिटेन ,ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी ,कनाडा ,फ्रांस आदि दुनिया के सभी देश और सभी देशों के सभी शहर इसकी परिधि में आ जाते हैं ।
अधिकारी को विश्वास था कि इतना बड़ा काम तीन साल से कम की अवधि में अध्ययन करके पूरा नहीं हो सकता । इसमें इन सब देशों में जाना पड़ेगा । विभिन्न शहरों का भ्रमण करना होगा। वहां के दूतावासों में अधिकारियों से मिलना पड़ेगा। अधिकारियों से ज्यादा जो लोग पलायन करके भारत से समृद्ध देशों में गए हैं ,उनसे भी बात करनी होगी । लेकिन फिर उसने सोचा कि हम लोगों से बातचीत करने की बजाय विदेशों की उन सुविधाओं का अध्ययन क्यों न करें जिनके कारण भारत से प्रतिभाशाली लोग पलायन करके विदेश जाना चाहते हैं अर्थात विदेशों में सैर-सपाटे की जो जगह हैं वहां घूमा जाए । वहां के क्लबों की कार्यप्रणाली को नजदीक से परखा जाए । वहां के विभिन्न दर्शनीय स्थलों को एक-एक करके देखने का कार्यक्रम बनाया जाए । हो सकता है ,इन सब से यह पता चल जाए कि भारत से प्रतिभा पलायन क्यों होता है ?
सुना है विदेशों की नदियाँ ,वहाँ के समुद्र और झीलें ,वहाँ के जलप्रपात बहुत सुंदर होते हैं । संभव है प्रतिभा पलायन का मूल कारण इन स्थानों के सौंदर्य में छिपा हुआ हो । वहां के पहाड़ हो सकता है ,भारत के प्रतिभाशाली लोगों को पलायन के लिए आकृष्ट करते हों। मगर यह सब तो उन स्थानों का गहराई से और बारीकी से अध्ययन करके ही पता लग सकता है। अधिकारी ने एक लिस्ट बनानी शुरू की ,जिन का अध्ययन करना उसकी दृष्टि में बहुत जरूरी है ।
उसे महसूस हुआ कि इस महान कार्य के लिए तीन वर्ष कम हैं। खैर ,जब तीन साल बीत जाएंगे तब अध्ययन की अवधि एक-दो साल सरलता से बढ़ाई जा सकती है ।
तभी उसके दिमाग में एक प्रश्न कौंध गया और उसने बॉस को फोन मिलाया- ” सर ! यह पूछना तो भूल ही गया कि रिपोर्ट किस तरह तैयार की जाएगी ? किसको दी जाएगी और उस रिपोर्ट के आधार पर क्या कार्यवाही होगी ?”
बॉस में हँसते हुए उसे बताया “आज तक किसी अध्ययन दल की रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही हुई है ,जो अब होगी ? तुम दुनिया की सैर करने की तैयारी शुरू कर दो । शायद तुम शुरू कर चुके होगे ?”
“जी सर ! आप ठीक कह रहे हैं ।”- अधिकारी ने दबी जबान से कहा ।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451