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11 Jul 2016 · 1 min read

*प्रतिज्ञा*

मन का दीप जलायेँगे
गीत खुशी के गायेँगे
फूलों सा बनकर के हम
इस जग को महकायेँगे
धर्मेन्द्र अरोड़ा

Language: Hindi
397 Views
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