प्रणय निवेदन
“प्रणय निवेदन”
गीतों में लिख लूँ क्या तुम को, चाहूँ लिखना छंदों में।
लहरों की गुंजन सी बजती, रहती हो हर बंदों में।।
कानों में घुलती जाती है, मीठी बोली खन खन सी।
पायल की आवाज लिखूं क्या, शब्दों के अनुबंधन सी।
कोमल भावों को जोड़ा है, ख़ूब सजाया शब्दों में।
गीतों में लिख लूँ क्या तुम को,
नयनों से भाषा जब छलके, गज़ल एक तब कह देता।
मुखमंडल की आभा पर भी,कविता झट से कह लेता।
नव इच्छा स्वप्नों में जागी, विचरण कर लूं वृन्दों में।
गीतों में लिख लूँ क्या तुम को,
छवि प्रियतम की हृदय समाई, लिखता रहता वर्णन में।
प्रेम सुधा प्रतिपादित करना, अभिलाषित मन दर्पण में।
भाव मधुर हो रहे प्रवाहित, शब्दों के मकरनदों में।
गीतों में लिख लूँ क्या तुमको….
गीतांजलि गुप्ता
नई दिल्ली©®