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18 Feb 2022 · 1 min read

“ प्यार छलकता माँ का सब दिन “

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “

======================

माँ की ममता

यूँ छलक पड़ी ,

जब क्रंदन लाल का

निकाल पड़ा !

झट से वो

बाहर निकाल पड़ी ,

माँ के उर में

वह लिपट पड़ा !!

उसको अपनो का

प्यार मिला ,

माँ की गंगा की

धार मिली !

रह -रह के

माँ को देख रहा ,

मानो उसको

फुल झड़ी मिली !!

माँ तो सिर्फ

अपनी माँ होती है ,

अहर्निश साथ

रहा करती है !

दुख हो या

सुख हो बच्चों का ,

उनके लिये दौड़ पड़ती है !!

==================

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “

साउन्ड हेल्थ क्लिनिक

एस 0 पी 0 कॉलेज रोड

दुमका

झारखंड

भारत

18 . 02. 2022.

Language: Hindi
Tag: कविता
165 Views
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