प्यार और विश्वास
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प्यार हुआ है हमको तुमसे
विश्वास हमारा बनाए रखना
, छोड़ चले हैं गलियां बाबुल की
प्रीत का नाता बनाए रखना ।
प्यार हुआ है हमको तुमसे..
मम्मी कि मैं लाडली गुड़िया
पापा की हूं मैं शहजादी
परियों की तरह में रहती हूंं
भाइयों को हूं मैं जान से प्यारी
इन सब की नाजुक सी
कली को संभाले रखना।
प्यार हुआ है हमको तुमसे…
मान रखूंगी मैं तुम्हारा
सम्मान करूंगी मैं सबका
मां के ममता का आंचल
सर पर मेरे बनाए रखना।
प्यार हुआ है हमको तुमसे..…..
छोटी मोटी भूल को मेरी
नादानी तुम कह लेना
हक है तुम्हारा मुझ पर पूरा
रिश्ते नाते की खुशबू से
विश्वास सभी का जीतूंगी ।
प्यार हुआ है हमको तुमसे
विश्वास हमारा बनाए रखना।
हरमिंदर कौर
अमरोहा (यूपी )
मौलिक रचना