प्यारी चिड़ियाँ

ये अनोखी प्यारी चिड़ियाँ
छोटी छोटी पैरों से वह
इधर-उधर फूदती रहती
दाने के तलाश में वह,
खग बेचारी बड़ी प्यारी
लगे रहते कामो में
चिड़ियाँ होती बड़ी निराली
दो पंखों वाली है तू
हवाओं में हरियालियों में
हरे हरियाली घूमती वह
तू चिड़ियाँ नहीं संदेश तू
एक डाल से उस डाल पर
ना जाने क्या करती हो तू
चिड़ियाँ तू तो देवी हो
बच्चों के रहने के खातिर
दूर-दूर से तिनका लाकर
सुंदर घर बनाती हो
तू चिड़िया नहीं जग रौनक हो
तेरी उड़ने की उत्साह से
मानवों में आ जाते उमंग
तुम्हारी इस प्रयास को
ले अपनाने लगते मानव
तू चिड़ियाँ होती है
रंग बिरंगी सूरत की
तू चिड़ियाँ बड़ी साहसी तू
आंधी में डाल को जाकर के धरे तू
तू चिड़ियाँ जग प्रेमी
तू पंख पसारे क्यों परी तू
तेरी पसारे पंखों से मन में
उठ जाते है खुशी का उमंग
तू चिड़ियाँ बड़ी प्यार तू
जग में तू नियारी तू
कवि:-राजा कुमार ‘चौरसिया’
सलौना, बखरी, बेगूसराय