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16 Jan 2024 · 1 min read

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक महीने में शुक्ल पक्ष की

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक महीने में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाता है। भगवान शिव के तेज से उत्पन्न स्कंद को भगवान कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है। भगवान कार्तिकेय को कई नामों से पुकारा जाता है।वहीं इन्हें देवताओं का सेनापति भी कहा जाता है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। स्कंद देव शिव जी और माता पार्वती के पुत्र हैं। उत्तरी भारत में स्कंद जी को भगवान गणेश के बड़े भाई के रूप में पूजा जाता है। दक्षिण भारत के लोग भगवान कार्तिकेय को पार्वतीनन्दन, षडानन, मुरुगन, सुब्रह्मन्य आदि कई नामों से पुकारते हैं। पंचांग के अनुसार पौष माह की स्कंद षष्ठी का व्रत कल यानी 16 जनवरी दिन मंगलवार को किया जाएगा। इस तिथि का आरंभ सुबह 2 बजकर 16 मिनट से हो रहा है तो वही समापन 11 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगा।वहीं मंगलवार के दिन यह तिथि होने के कारण इसका महत्व और बढ़ गया है। मंगलवार के दिन माता गौरी की पूजा करने का विधान होता है जो कि मां पार्वती का ही रूप है। इसलिए पौष मास की स्कंद षष्ठी तिथि पर मां पार्वती और भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत करने से प्रभु की असीम कृपा प्राप्त होगी। इस दिन आप शिव साधना भी कर सकते हैं। ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं 🙏🙏💐💐

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