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9 Sep 2022 · 1 min read

पोहा पर हूँ लिख रहा

कुंडलिया छंद…

पोहा पर हूँ लिख रहा, मैं कुंडलिया छंद।
कारण मिलता है सदा, खाने से आनन्द।।
खाने से आनन्द, बनाती हो तुम ऐसे।
भर देती हो भाव, प्रेम का उसमें जैसे।।
लिखता होकर मग्न, छंद मैं रोला दोहा।
सच कहता हूँ यार, बहुत ही भाता पोहा।।

डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)

1 Like · 117 Views

Books from Dr. Rajendra Singh 'Rahi'

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