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19 Nov 2022 · 1 min read

*पेड़ (हिंदी गजल/गीतिका)*

*पेड़ (हिंदी गजल/गीतिका)*
■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
जब हुकूमत में नए आने लगे
पत्र बूढ़े छोड़कर जाने लगे
(2)
जब हवा ने पेड़ धीरे से छुआ
फूल खिलकर खुश हुए गाने लगे
(3)
बंद कमरा खूब आलीशान था
पेड़ उसमें किंतु मुरझाने लगे
(4)
बिन-बुलाए आ गए थे जो अतिथि
बोझ वह गमले पे कहलाने लगे
(5)
मित्रता पत्तों ने की दो – चार पल
लाभ फिर पतझड़ को पहुँचाने लगे
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
*रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
मोबाइल 99976 15451

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