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6 Sep 2022 · 2 min read

“पेट को मालिक किसान”

थोड़ो सो चांदणो होती एं
ये खाट मैं तैं उठज्यां सैं,
मीठी प्यारी नींद छोडकीं
खेत मैं लिकड़ज्या सै,
आंख मसळता चालैं राही मैं
पैरां की जहाज बणालीं सै,
जांडी नीचै बैठकीं करै ब्रेकफास्ट
पापी पेट सुखा टिकड़ा तैं भरलीं सै,
जद सूळ चालज्यां टूट्या लितरां मै
मूंह तैं पकड़कीं बाहरण काढलीं सै,
चप्पल आळी सूळ जीभ मैं भी चालज्या
खून नै भी भीतरणै ए गिटलीं सैं,
जद जाडै की मरज्याणी रात आवै
कांपता कांपता लाईण बदल लीं सै,
जेठ कै मिहनै मैं पडै कसूतो घाम
किसान की देही को तेल लिकड़ज्या सै,
गेहूँ, सिरसम, चणा आर बाजरै मै
कदे सांप लीकड़की बटको भरज्या सै,
जद ना ठावै मोटर पाणी तो
तावळ मैं झूककीं नीचै नै देखै सैं,
बेरो ए कोनी पाटै पा तिसळज्या
कई बर कुआं मैं भी पड़ज्यां सैं,
काळ पडज्या कदे सूखो आज्या
टोटै मैं ए टेम लिकड़ज्या सै,
जद कदै बढिया फसल उगै
साहूकार इणकै चिपटज्यां सैं,
मंडी मै खुल्लो पड़यो इणको नाज
मीं आवै जद आसू बहाली सैं,
खेत मैं गधै ज्यूं मेहनत करे किसान
आर फसलां को रेट व्यापारी लगालीं सैं,
जद ना मिलै बिचयारां नैं मुआवजो
चुंदड़ी गळ मैं घालीं पेड़ के लटकज्यां सैं,
टाबरां की फीस भरी कोनी जा
सरकारी स्कूल में ए पढालीं सैं,
मटर पनीर कड़े तैं ल्यावे
मिर्च रोटी तै काम चलालीं सैं,
ऊंट गाडी इणकी फोरच्यूनर सै
बिना तेल घाले भजालीं सैं,
भारत के पेट का मालिक सैं ये
चाहे खुद नै भूखो सुवालीं सैं,
रै करो मेहरबानी इणपै भी
आपको चुग्गो आपणै ताई खुवादे सै ।

Dr.Meenu Poonia

Language: Rajasthani
Tag: कविता
2 Likes · 82 Views

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