Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2024 · 1 min read

पेंसिल हो या पेन‌ लिखने का सच हैं।

पेंसिल हो या पेन‌ लिखने का सच हैं।
बस हम सभी शिक्षा के साथ हैं।

62 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नयनजल
नयनजल
surenderpal vaidya
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
Rj Anand Prajapati
बात निकली है तो दूर तक जायेगी
बात निकली है तो दूर तक जायेगी
Sonam Puneet Dubey
राम राम
राम राम
Sonit Parjapati
"जगह-जगह पर भीड हो रही है ll
पूर्वार्थ
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
.
.
*प्रणय*
वाणी
वाणी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आया है प्रवेशोत्सव
आया है प्रवेशोत्सव
gurudeenverma198
3080.*पूर्णिका*
3080.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Kanchan Khanna
बदलती स्याही
बदलती स्याही
Seema gupta,Alwar
जिंदगी हर रोज
जिंदगी हर रोज
VINOD CHAUHAN
बदला सा व्यवहार
बदला सा व्यवहार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
होली है ....
होली है ....
Kshma Urmila
आयी बरखा हो गए,
आयी बरखा हो गए,
sushil sarna
प्रेम के दो  वचन बोल दो बोल दो
प्रेम के दो वचन बोल दो बोल दो
Dr Archana Gupta
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
Shweta Soni
कल गोदी में खेलती थी
कल गोदी में खेलती थी
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक कहानी लिख डाली.....✍️
एक कहानी लिख डाली.....✍️
singh kunwar sarvendra vikram
स्वयं पर नियंत्रण कर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस व्यक्
स्वयं पर नियंत्रण कर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस व्यक्
Paras Nath Jha
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
आज की नारी
आज की नारी
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
“बारिश और ग़रीब की झोपड़ी”
“बारिश और ग़रीब की झोपड़ी”
Neeraj kumar Soni
"नैतिकता"
Dr. Kishan tandon kranti
हर गम दिल में समा गया है।
हर गम दिल में समा गया है।
Taj Mohammad
*सुनते हैं नेता-अफसर, अब साँठगाँठ से खाते हैं 【हिंदी गजल/गीत
*सुनते हैं नेता-अफसर, अब साँठगाँठ से खाते हैं 【हिंदी गजल/गीत
Ravi Prakash
आज के समाज का यही दस्तूर है,
आज के समाज का यही दस्तूर है,
Ajit Kumar "Karn"
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
DrLakshman Jha Parimal
Loading...