Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2024 · 1 min read

पृष्ठ बनी इतिहास का,

पृष्ठ बनी इतिहास का,
पल में चलती श्वांस ।
साथ देह का रह गए,
एक कफन दो बांस ।

सुशील सरना 23-7-24

64 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
Sonam Puneet Dubey
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
शेखर सिंह
अ
*प्रणय*
मसल डाली मेरी इज्जत चंद लम्हों में
मसल डाली मेरी इज्जत चंद लम्हों में
Phool gufran
मुस्कुराकर बात करने वाले
मुस्कुराकर बात करने वाले
Chitra Bisht
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक अरुण अतृप्त
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक अरुण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
4474.*पूर्णिका*
4474.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जय श्री राम
जय श्री राम
goutam shaw
Pain of separation
Pain of separation
Bidyadhar Mantry
कहीं दूर चले आए हैं घर से
कहीं दूर चले आए हैं घर से
पूर्वार्थ
अधुरे सपने, अधुरे रिश्ते, और अधुरी सी जिन्दगी।
अधुरे सपने, अधुरे रिश्ते, और अधुरी सी जिन्दगी।
Ashwini sharma
संस्कार में झुक जाऊं
संस्कार में झुक जाऊं
Ranjeet kumar patre
पुरुषार्थ
पुरुषार्थ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
जिंदगी हमेशा इम्तिहानों से भरा सफर है,
जिंदगी हमेशा इम्तिहानों से भरा सफर है,
Mamta Gupta
पिता
पिता
Sanjay ' शून्य'
क्षणभंगुर
क्षणभंगुर
Vivek Pandey
"नमक का खारापन"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ लोग यूँ ही बदनाम नहीं होते...
कुछ लोग यूँ ही बदनाम नहीं होते...
मनोज कर्ण
मुस्कुरा  दे  ये ज़िंदगी शायद ।
मुस्कुरा दे ये ज़िंदगी शायद ।
Dr fauzia Naseem shad
* मिट जाएंगे फासले *
* मिट जाएंगे फासले *
surenderpal vaidya
लघुकथा कौमुदी ( समीक्षा )
लघुकथा कौमुदी ( समीक्षा )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
प्यार के मायने
प्यार के मायने
SHAMA PARVEEN
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
Anil chobisa
बुढापे की लाठी
बुढापे की लाठी
Suryakant Dwivedi
मैं इन्सान हूँ यही तो बस मेरा गुनाह है
मैं इन्सान हूँ यही तो बस मेरा गुनाह है
VINOD CHAUHAN
मुझे कुछ देर सोने दो
मुझे कुछ देर सोने दो
हिमांशु Kulshrestha
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
Ajit Kumar "Karn"
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे ,
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे ,
Keshav kishor Kumar
आज ख़ुद के लिए मैं ख़ुद से कुछ कहूं,
आज ख़ुद के लिए मैं ख़ुद से कुछ कहूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रेरणा गीत
प्रेरणा गीत
Saraswati Bajpai
Loading...