*पुरानी रंजिशों की भूल, दोहराने से बचना है (हिंदी गजल/ गीतिक

*पुरानी रंजिशों की भूल, दोहराने से बचना है (हिंदी गजल/ गीतिका)*
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1
पुरानी रंजिशों की भूल, दोहराने से बचना है
हमें इतिहास के कुछ पृष्ठ, नूतन आज रचना है
2
गड़े मुर्दे उखाड़ोगे तो, हासिल कुछ नहीं होगा
निरर्थक युद्ध का ही शोर, तब हर ओर मचना है
3
अगर सागर का मंथन है, तो फिर विष भी निकलेगा
कठिन सबसे वही तो, कंठ में शंकर के पचना है
4
कमाया या विरासत में, मिला यह प्रश्न छोटा है
चुनौती मूल अर्जित धन को, संयम से खरचना है
5
नचाता भाग्य है मानव को, अपनी उंगलियों पर नित
विवश कठपुतलियों-जैसे मनुज को सिर्फ नचना है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451