पीने वाले पर चढ़ा, जादू मदिरापान (कुंडलिया)*

पीने वाले पर चढ़ा, जादू मदिरापान (कुंडलिया)*
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पीने वाले पर चढ़ा , जादू मदिरापान
जिसने पी ली फिर कहाँ ,उसे मान-अपमान
उसे मान – अपमान , रसातल जाकर रहता
अनुचित है जो बात ,बेसुधी में वह कहता
कहते रवि कविराय , जाम में जीने वाले
खोते सुंदर स्वास्थ्य , संपदा पीने वाले
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*रसातल* = पृथ्वी के नीचे छठा लोक
जो पाताल से थोड़ा ऊपर है ,
बर्बादी होना
*जाम* = शराब पीने का प्याला
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*रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
*मोबाइल 99976 15451*