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16 May 2023 · 1 min read

मुसाफिर

मुसाफिर –

जीवन चलने का नाम जीवन मे नही अल्प विराम होता है सिर्फ पूर्ण विराम ।।

जन्म जीवन अभिलाषा यात्रा उड़ान मानव जीवन पथ उद्देश्य यात्री अन्वेषक सत्यार्थ ।।

जीवन पथ पथरीला उबड़ खाबड़ गिरना उठना संभलना चलते रहना नाम ।।

आराम नही विश्राम विचलित भाव नही एकात्म भाव चलते जाना काम ।।

पल प्रहर निशा दिवस शुभ संध्या और प्रभात मानव एक मुसाफिर उद्देश्यों पथ मंजिल करता रहता तलाश ।।

कभी निराश कभी हताश आंधकार फिर सूर्योदय कि किरणों जैसी आशा करती साहस शक्ति का सांचार।।

उत्साहित नए जोश उमंग में नए जश्न उल्लास का विश्वास थकता नही हारता नही चलता जाता लिए जीवन अभिलाषा अरमान।।

अपेक्षा होती कम नही जाने कब आ जाती जीवन कि शाम जीवन पथ उद्देश्य मकशद कि जाने कितनी रह जाती अधूरी ना होती पूरी जीवन संग्राम।।

अंतिम यात्रा में अनचाहे चल पड़ता छोड़ अंतिम सांसे प्राण जन्म जीवन का मुसाफिर उद्देश्य पथ पथिक पूर्णता कि आशा विश्वास आधा अधूरा मानव इंसान।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।

Language: Hindi
244 Views
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