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15 May 2022 · 1 min read

पिता का प्रेम

पिता का प्रेम दिखाई नहीं देता
क्योंकि वो ईश्वर की तरह ही होता,
पर दिखाई देती उनकी नसीहत,
कभी शूल सी लगती कभी फूल- सी
लेकिन राह सही हमको बताती
ऊपर से नारियल की भांति कठोर,
अंदर से धवल नरम रहते पिता की डांट,
दुलार और अधिकार,प्यार आशिर्वाद
हमें उन्नति के शिखर पर पहुंचाती
खुद दुख सह लेते पिता पर
हमारी खुशियों उनकी मुस्कान बन जाती
राह में चलते -चलते जब कभी ठोकर लगती
थाम कर हाथ पिता हमें फिर से चलना सिखाते
पुचकार कर गले लगाते,गलती पर माफ कर देते
मंजिल कैसे पहुंचे वो भी समझाते।
सीमा गुप्ता अलवर, राजस्थान

25 Likes · 20 Comments · 800 Views

Books from Seema gupta,Alwar

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