Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Feb 2023 · 1 min read

*पारखी नजरों में जब, आतीं पुरानी पुस्तकें (हिंदी गजल/ गीतिका

पारखी नजरों में जब, आतीं पुरानी पुस्तकें (हिंदी गजल/ गीतिका)
—————————————-
1
पारखी नजरों में जब, आतीं पुरानी पुस्तकें
अनमोल तब सर्वत्र, कहलातीं पुरानी पुस्तकें
2
संदूक से जब भी निकाला, अधफटे कुछ पृष्ठ थे
पर चमक ऑंखों में भर, लातीं पुरानी पुस्तकें
3
इनको दया की भीख कब, चाहिए बाजार में
एक सिक्के-सी खरी, छातीं पुरानी पुस्तकें
4
एक नूतन संस्करण, बाजार में जब आ गया
ज्यों पहन कपड़े नए, गातीं पुरानी पुस्तकें
5
अनपढ़ों तक कब विरासत, लेखकों की रह सकी
भाव में रद्दी के बिक, जातीं पुरानी पुस्तकें
—————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

169 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

राजस्थान
राजस्थान
Anil chobisa
ढ़लती उम्र की दहलीज पर
ढ़लती उम्र की दहलीज पर
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
ज़िंदगी तुझसे इतना तो निभा ही देंगे ।
ज़िंदगी तुझसे इतना तो निभा ही देंगे ।
Dr fauzia Naseem shad
अभी अभी तो इक मिसरा बना था,
अभी अभी तो इक मिसरा बना था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आकाश  से  व्यापक
आकाश से व्यापक
Acharya Shilak Ram
मुसलमान होना गुनाह
मुसलमान होना गुनाह
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
दिल की किताब
दिल की किताब
dr rajmati Surana
कहानी घर-घर की
कहानी घर-घर की
Brijpal Singh
दिमाग शहर मे नौकरी तो करता है मगर
दिमाग शहर मे नौकरी तो करता है मगर
पूर्वार्थ
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Tushar Jagawat
ए चाँद
ए चाँद
sheema anmol
मां तो फरिश्ता है।
मां तो फरिश्ता है।
Taj Mohammad
🙅 *मेरे हिसाब से* 🙅
🙅 *मेरे हिसाब से* 🙅
*प्रणय*
मुस्कान
मुस्कान
seema sharma
यमराज का यक्ष प्रश्न
यमराज का यक्ष प्रश्न
Sudhir srivastava
पतंग
पतंग
विशाल शुक्ल
यदि सत्य बोलने के लिए राजा हरिश्चंद्र को याद किया जाता है
यदि सत्य बोलने के लिए राजा हरिश्चंद्र को याद किया जाता है
शेखर सिंह
ललकार की पुकार
ललकार की पुकार
ललकार भारद्वाज
दो लोगों की सोच
दो लोगों की सोच
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
भीतर तू निहारा कर
भीतर तू निहारा कर
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
पेइंग गेस्ट
पेइंग गेस्ट
Dr. Pradeep Kumar Sharma
- स्वाभिमान -
- स्वाभिमान -
bharat gehlot
गहरे हैं चाहत के ज़ख्म
गहरे हैं चाहत के ज़ख्म
Surinder blackpen
* कभी दूरियों को *
* कभी दूरियों को *
surenderpal vaidya
इंतज़ार एक दस्तक की।
इंतज़ार एक दस्तक की।
Manisha Manjari
दोहे एकादश ...
दोहे एकादश ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
3026.*पूर्णिका*
3026.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कविता तुम से
कविता तुम से
Awadhesh Singh
# कुछ देर तो ठहर जाओ
# कुछ देर तो ठहर जाओ
Koमल कुmari
Loading...