Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Oct 2016 · 1 min read

पाकर भी तुझको ज़िन्दगी पाया नहीं कभी

पाकर भी तुझको ज़िन्दगी पाया नहीं कभी
कहते हैं जिसको जीना वो आया नहीं कभी

चाहें किये हो कर्म भलाई के कम बहुत
पर नेकियों को अपनी भुनाया नहीं कभी

खाते कदम कदम पे रहे ठोकरें यहाँ
पर आस के दिए को बुझाया नहीं कभी

हम दूर मंज़िलों से ही रहते रहे मगर
कमजोर को यहाँ पे गिराया नहीं कभी

हमने किसी की आह ले संसार में सुनो
कोई महल ख़ुशी का बनाया नहीं कभी

डॉ अर्चना गुप्ता

2 Comments · 570 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
*
*"चित्रगुप्त की परेशानी"*
Shashi kala vyas
हिम्मत से हौसलों की, वो उड़ान बन गया।
हिम्मत से हौसलों की, वो उड़ान बन गया।
Manisha Manjari
✍️जन्नतो की तालिब है..!✍️
✍️जन्नतो की तालिब है..!✍️
'अशांत' शेखर
*मुख पर गजब पर्दा पड़ा है क्या करें【मुक्तक 】*
*मुख पर गजब पर्दा पड़ा है क्या करें【मुक्तक 】*
Ravi Prakash
नहीं चाहता मैं किसी को साथी अपना बनाना
नहीं चाहता मैं किसी को साथी अपना बनाना
gurudeenverma198
" मायूस हुआ गुदड़ "
Dr Meenu Poonia
गीत
गीत
Kanchan Khanna
मजबूरी तो नहीं
मजबूरी तो नहीं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
इक परिन्दा ख़ौफ़ से सहमा हुुआ हूँ
इक परिन्दा ख़ौफ़ से सहमा हुुआ हूँ
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सुविचार
सुविचार
Neeraj Agarwal
ज़माने की बुराई से खुद को बचाना बेहतर
ज़माने की बुराई से खुद को बचाना बेहतर
नूरफातिमा खातून नूरी
माँ कात्यायनी
माँ कात्यायनी
Vandana Namdev
■ प्रबुद्धों_के_लिए
■ प्रबुद्धों_के_लिए
*Author प्रणय प्रभात*
अगर आप सही हैं तो खुद को साबित करने के लिए ताकत क्यों लगानी
अगर आप सही हैं तो खुद को साबित करने के लिए ताकत क्यों लगानी
Seema Verma
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
पूर्वार्थ
ये चिल्ले जाड़े के दिन / MUSAFIR BAITHA
ये चिल्ले जाड़े के दिन / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
माँ तुम्हारे रूप से
माँ तुम्हारे रूप से
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
मित्र
मित्र
लक्ष्मी सिंह
स्पीड
स्पीड
Paras Nath Jha
लाचार जन की हाय
लाचार जन की हाय
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Khuch chand kisso ki shuruat ho,
Khuch chand kisso ki shuruat ho,
Sakshi Tripathi
2689.*पूर्णिका*
2689.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पंख कटे पांखी
पंख कटे पांखी
सूर्यकांत द्विवेदी
शिकायत नही तू शुक्रिया कर
शिकायत नही तू शुक्रिया कर
Surya Barman
जुगुनूओं की कोशिशें कामयाब अब हो रही,
जुगुनूओं की कोशिशें कामयाब अब हो रही,
Kumud Srivastava
ग़ज़ल/नज़्म - वजूद-ए-हुस्न को जानने की मैंने पूरी-पूरी तैयारी की
ग़ज़ल/नज़्म - वजूद-ए-हुस्न को जानने की मैंने पूरी-पूरी तैयारी की
अनिल कुमार
*मर्यादा*
*मर्यादा*
Harminder Kaur
बेरोज़गारों का कब आएगा वसंत
बेरोज़गारों का कब आएगा वसंत
Anamika Singh
रक्षा के पावन बंधन का, अमर प्रेम त्यौहार
रक्षा के पावन बंधन का, अमर प्रेम त्यौहार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
खुदा रखे हमें चश्मे-बद से सदा दूर...
खुदा रखे हमें चश्मे-बद से सदा दूर...
shabina. Naaz
Loading...