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1 Mar 2023 · 1 min read

पाई फागुन में गई, सिर्फ विलक्षण बात (कुंडलिया)

पाई फागुन में गई, सिर्फ विलक्षण बात (कुंडलिया)
_________________
पाई फागुन में गई , सिर्फ विलक्षण बात
दिन में भी बरसे शहद , महकी-महकी रात
महकी-महकी रात, पवन संगीत सुनाता
गीत गा रहे फूल , पेड़ नवयौवन पाता
कहते रवि कविराय ,मस्त ऋतु यह कहलाई
फागुन है ऋतुराज , न समता इसकी पाई
______________
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
——————-
विलक्षण = अद्भुत ,असाधारण ,अनोखा

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